हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान राम को पूजने वाले हनुमान आज भी जीवित हैं। ऐसा कहा जाता है कि जहां भी राम नाम का जाप होता है हनुमान उस स्थल पर मौजूद होते हैं। हनुमान के अलावा भी सतयुग, त्रेता और द्वापर युग के कई योद्धा और महापुरुष हैं जो कलयुग यानी आज भी सशरीर जीवित हैं। आइये जानते हैं उनके बारे में।
राम भक्तों के लिए चिरंजीव हैं हनुमान
रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों में यह वर्णन किया गया है कि हनुमान और अश्वत्थामा को कलयुग में भी जीवित रहना होगा। हनुमान को श्रीराम ने अपने भक्तों पर कृपा करने के लिए जीवित रहने का आदेश दिया था। जबकि अश्वत्थामा को पांडवों के वंशज को कोख में ही मारने के लिए श्राप मिला था कि वह कलयुग तक मोक्ष को प्राप्त नहीं होगा और अपने कुकर्मों का दंड भुगतेगा। इसीलिए अश्वत्थामा आज भी जीवित है।
जामवंत सबसे बुजुर्ग महायोद्धा
रामायण के अनुसार भगवान राम की मदद करने वाले हनुमान, जामवंत और विभीषण को सबसे लंबी आयु हासिल हुई। इनमें से हनुमान और जामवंत आज भी सशरीर मौजूद हैं। भगवान राम की सेना में सबसे ज्ञानी योद्धा जामवंत ही थे। रामायण काल के योद्धाओं में जामवंत सबसे लंबी आयु हासिल करने वाले भी थे। जामवंत और हनुमान सतयुग, त्रेता और द्वापर युगों में भी मौजूद थे और वह कलयुग में भी मौजूद हैं।
परशुराम से थर थर कांपती हैं मृत्यु
रामायण में भगवान परशुराम का वर्णन मिलता है। परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में पृथ्वी पर जन्मे और आज भी जीवित हैं। शिवभक्त होने के कारण उनके धनुष को राम द्वारा तोड़े जाने पर लक्ष्मण के साथ उनके शास्त्रार्थ का उल्लेख मिलता है। पृथ्वी पर परशुराम जितना बलशाली दूसरा और कोई नहीं हुआ। उन्होंने जमदग्नि के कहने पर अपनी माता का गला काट दिया था। उन्होंने अहंकारी हैहय वंशी क्षत्रियों का पृथ्वी से 21 बार समूल नाश किया। रामायण के अलावा महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण में भगवान परशुराम का वर्णन किया गया है।
बलि को कभी न मरने का वरदान
विष्णु के बामन अवतार को सबकुछ दान करने वाले राजा बलि को भी कभी मृत्यु नहीं होने का वरदान हासिल है। इसी वजह से राजा बलि आज भी सशरीर मौजूद हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सतयुग में प्रह्रालाद के कुल में जन्में राजा बलि इतने बलशाली थे कि उन्होंने स्वर्ग पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया। उस वक्त तीनों लोकों पर राजा बलि का राज स्थापित हो गया। विष्णु ने जब सबकुछ बालि से दान में ले लिया तो वह दानवीरता पर प्रसन्न होकर बलि को कभी न मरने का वरदान देकर पाताल लोक भेज दिया।…Next
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