मान्यताओं के अनुसार पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ में व्रत रखना होता है और पूजा करनी होती है। लेकिन, जो महिलाएं फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को व्रत रखती हैं उन्हें भी पतियों की लंबी उम्र का वरदान हासिल होता है। फाल्गुन माह की यह तिथि हिंदू मान्यताओं के अनुसार बेहद शुभ और फलदायी मानी गई है। इस दिन पूजा और व्रत करने से बंजर जमीन और कोख फल फूल उठते हैं।
मिथिला में अकाल और सूखा
हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामायण में भगवान राम और उनकी पत्नी देवी सीता के जीवन का संपूर्ण वर्णन मिलता है। मान्यताओं के अनुसार देवी सीता का जन्म मिथिला के राजा जनक के यहां हुआ था। माता सीता के जन्म को लेकर प्रचलित कथा के मुताबिक मिथिला में कई सालों तक बारिश नहीं हुई तो चारों ओर खेत, तालाब, नदी और कूप सूख गए। फसल न होने से अकाल की स्थिति बन गई।
चिंता में बीमार हुए राजा जनक
सूखे से परेशान प्रजा के लिए राजा जनक चिंतित रहने लगे। चिंता के कारण उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ने लगा। जनक के कोई संतान नहीं थी और वह प्रजा को ही अपनी असली संतान मानते थे। जनक ने राजपुरोहित और विद्वानों से मंत्रणा की तो एक रिषि ने उन्हें यज्ञ करने और खेत जोतने की सलाह दी और बताया कि ऐसा करने से बारिश होगी और राज्य पर आए सूखे का संकट खत्म हो जाएगा। राजा जनक ने ऐसा ही किया और यज्ञ शुरू करवा दिया।
खेत में अटक गए जनक और हल
यज्ञ खत्म होने के बाद राजा जनक खुद बैल और हल के साथ खेत में पहुंचे और जुताई शुरू कर दी। पूरा खेते जोतने के दौरान उनका हल एक जगह जमीन पर अटक गया। बैलों के काफी खींचने के बाद भी हल वहां से आगे न बढ़ सका। राजा जनक ने वहां की मिट्टी हटाई तो एक जीवित कन्या जमीन से निकली। कन्या के बाहर आते ही वर्षा शुरु हो गई। राजा जनक ने उस कन्या को अपनी बेटी स्वीकार कर सीता नाम दिया।
फाल्गुन माह में धरती से निकलीं सीता
पौराणिक कथाओं के अनुसार सीता के जन्म के बाद मिथिला राज्य में खुशहाली लौट आई। खेत और वन, तालाब, नदी और सरोवर सब खिल उठे। राजा जनक की दुलारी होने के कारण सीता को जानकी भी कहा जाता है। जिस दिन राजा जनक को सीता मिलीं वह फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी। तब से ही इस दिन को देवी सीता के प्राकट्य के तौर पर मनाया जाता है।
व्रत और पूजा से मिलेंगे ये फल
शास्त्रों के अनुसार जो महिलाएं इस तिथि को माता सीता की आरती करने के बाद व्रत रखती हैं उनके पतियों को लंबी उम्र का वरदान हासिल होता है। वहीं, दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और घर में खुशहाली का वास होता है। इसके अलावा निसंतान महिलाओं को गर्भधारण का वरदान भी हासिल होता है। जिनकी फसल किसी वजह से बर्बाद हो जाती है उन घरों की महिलाओं के लिए यह व्रत बेहद लाभकारी सिद्ध होता है।…Next
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