शिवपुराण में देवता और भक्त की उपासना से संबंधित कई बातों को बताया गया है. शिवपुराण में भगवान की आराधना की विधि, महत्व और फल को अच्छी तरह से समझाया गया है. वायवीय संहिता नाम के खण्ड में जप के विषय में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गई है. शिवपुराण में कहा गया है कि यदि देवी-देवता का जप करते समय 4 बातों का ध्यान न रखा जाएं तो आपका जप बेकार यानी निष्फल हो जाता है.
1.गलत जप के तरीके– देवी-देवताओं की पूजा के समय पूरे विधि-विधान का ख्याल रखना चाहिए. अगर कोई भक्त सही तरह से पूजा या आराधना नहीं करता है तो वह पूजा निष्फल हो जाता है. जप एक तप है इसलिए किसी भी समय, किसी स्थान पर जप करना निष्फल माना जाता है. इसलिए, मनुष्य को सुबह जल्दी उठ कर स्नान करके भगवान के सामने दीप लगाकर, पूरी क्रिया के साथ जप करना चाहिए.
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2. श्रद्धा के साथ जप– पूजा में श्रद्धा का होना बहुत जरुरी होता है. यदि भक्त अपवित्र भावनाओं से या बिना श्रद्धा के भगवान की पूजा या जप करता है तो उसे इसका फल कभी नहीं मिलता. यदि पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ भगवान से विनती की जाएं तो भगवान अपने भक्त की मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.
3. जप के बाद दक्षिणा- हिन्दू देवी-देवता के पूजा-पाठ में दक्षिणा का बहुत महत्व होता है. शिवपुराण में कहा गया है कि यदि कोई मनुष्य पूरे विधि-विधान के साथ भगवान का जप करें और इसके बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को दक्षिणा या दान न करे तो उसका जप व्यर्थ हो जाता है.
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4.आज्ञाहीन जप- भक्त को पूजा-अर्चना या जप करने से पहले किसी योग्य पंडित या ऋषियों से इसकी आज्ञा, महत्व और विधि-विधान की जानकारी लेनी चाहिए. सही विधि-विधान जाने बिना किया गया जप भक्तों को किसी भी तरह का फल नहीं देता. अतः जप करने से पहले ब्राह्मणों से उसके बारे में पूरी जानकारी और आज्ञा लेना जरुरी माना जाता है.Next…
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