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कौन है जिसने सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का सिर काटने का साहस किया, जानिए पुराणों में विख्यात एक हैरतअंगेज रहस्य

हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान शिव की माया सारे जगत में प्रचलित है और इसी माया के जरिए शिव ने अपने अनेक अवतारों को जन्म दिया है लेकिन इसमें से कुछ अवतारों का ही खासतौर पर विवरण किया जाता है. वेदों के अनुसार शिव को रुद्र कहा गया है और इसका असर शिव के अवतारों में भी देखने को मिलता है.

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शिव के इस अवतार से लगता है भय

शिव के सभी रुद्र अवतारों में से एक है काल भैरव अवतार, जिनका नाम सुनते ही लोगों के भीतर डर और भय की भावना उत्पन्न होती है. कोलतार से भी गहरा काला रंग, भयानक व क्रोधित नयन, गले में रूद्राक्ष की कण्ठमाला और हाथों में लोहे का भयानक दण्ड लिए भैरव काले कुत्ते की सवारी करते हैं.


Bhairava Brahma


काल भैरव भगवान शंकर के ऐसे अवतार हैं जिनमें अत्यंत क्रोध व तामसिक गुण है और यह मदिरा का सेवन भी करते हैं. शिव के इस अवतार को भयंकर कहा जाता है जिस फलस्वरूप लोग इनसे बहुत डरते हैं व इनके प्रकोप से बचने के लिए अखंड भवन व पूजा-पाठ करते हैं. भय से भरपूर यह अवतार मनुष्य जीवन के लिए प्रेरणा का सोत है और हमें इस अवतार से बहुत शिक्षा प्राप्त होती है.


काल भैरव अवतार का मूल उद्देश्य ही मनुष्य जीवन के सभी अवगुणों को दूर करना है. भैरव अवतार आपको अत्यंत शिक्षा प्रदान करता है, साथ ही जीवन को सही रूप से आगे बढ़ाने का ज्ञान देता है।


क्यों हैं भैरव महा-क्रोधित?

पुराणों में प्रचलित कथाओं के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को मध्यान्ह में भैरव शिव के क्रोध से ही उत्पन्न हुए थे. वैसे तो भैरव के उत्पन्न होने के पीछे इतिहास में कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक है जब अंधकासुर नामक दैत्य अपने घमंड में आकर सृष्टि का नाश करने को उतारू हो गया था और यहां तक कि उसने भगवान शंकर पर भी प्रहार करने का साहस किया, तब शिव के रुधिर से भैरव की उत्पत्ति हुई जिसने उस दैत्य का नाश किया.


पुराणों के अनुसार भैरव के जन्म के संदर्भ में सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का भी नाम लिया गया है. कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर की वेशभूषा व उनके गणों की रूपसज्जा को देख उनका अपमान किया व उन्हें तिरस्कारयुक्त शब्द कहे. ब्रह्मा के मुख से ऐसे अपशब्द सुन भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो उठे और उसी क्षण उनके क्रोध से वहां एक तेज-पुंज प्रकट हुआ और जिसमें एक पुरुष की छवि दिखाई दी. वह स्वंय काल भैरव की ही छवि थी.


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Kala Bhairav



भैरव ने काटा था ब्रह्मा का सिर

काल भैरव की उस छवि के प्रकट होते ही भगवान शिव ने कहा, “काल की भांति शोभित होने के कारण तुम साक्षात कालराज हो, तुम्हारे तेज से काल भी भयभीत रहेगा, अत: तुम काल भैरव भी हो. तुम स्वयं मुक्तिपुरी काशी के पापियों के शासक कहलाओगे.


भगवान शंकर के शरीर से उत्पन्न उस काया का क्रोध बढ़ता गया और वो ब्रह्मा का संहार करने के लिए आगे बढ़ आयी और उसने अपनी उंगली के नाखून से ब्रह्मा का एक सिर काट दिया.


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