पंद्रह दिनों तक की जाती है.
पंद्रह दिनों तक चलता है मां दुर्गा की उपासना
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मुख्य रूप से साल में दो बार मनाए जाने वाला यह पर्व नौ दिनों का होता है वहीं गुवाहाटी के कामाख्या मांदिर में माँ दुर्गा की उपासना पंद्रह दिनों तक चलता है. यहाँ के स्थानीय लोग इस उत्सव को ‘पखुवापूजा’ कहते हैं. इस मंदिर में माँ दुर्गा की भक्ति के अधिकांश कार्य बंद दरवाजों के अंदर किए जाते हैं. नीलांचल की पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर में दुर्गा पूजा के आयोजन का लंबा इतिहास रहा है.
Read: श्री कृष्ण के संग नहीं देखी होगी रुक्मिणी की मूरत, पर यहाँ विराजमान है उनके इस अवतार के साथ
उत्सव का आयोजन
वैसे तो इस पर्व का आयोजन अश्विन माह (सितंबर मध्य से अक्टूबर मध्य) में चंद्रमा के घटने के नवें दिन यानी ‘कृष्ण नवमी’ पर होती है और इसका समापन चंद्रमा के बढ़ने के नवें दिन यानी ‘शुक्ल नवमी’ पर होता है लेकिन चैत्र नवरात्रि के अवसर पर भी इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इसी साल चैत्र नवरात्रि के पहले दिन उद्योगपति अनिल अंबानी भी इस मंदिर मेंपूजा-अर्चना करते दिखे.
मंदिर की विशेषता
51 शक्तिपीठों में से एक इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें देवी दुर्गा की कोई तस्वीर नहीं होती है. पूजा मुख्य ‘पीठ’ में की जाती है. माता दुर्गा के स्थान पर शंकु के आकार की आकृति है. इस शंकु की लंबाई 9 इंच और चौड़ाई 15 इंच है. इन पंद्रह दिनों में प्रतिदिन माँ भगवती की विशेष आराधना की जाती है. इस विशेष पूजा के अवसर पर मंदिर के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए बंद रखे जाते हैं.
Read: क्यों इस मंदिर के शिवलिंग पर हर बारहवें साल गिरती है बिजली?
कामाख्या मंदिर कौमारी तीर्थ भी
कामाख्या मंदिर विश्व का सर्वोच्च कौमारी तीर्थ भी माना जाता है. इसीलिए इस शक्तिपीठ में कौमारी-पूजा अनुष्ठान का भी अत्यन्त महत्व है. यहाँ आद्य-शक्ति की प्रतीक सभी कुल व वर्ण की कौमारियाँ होती हैं. किसी जाति का भेद नहीं होता है. इस क्षेत्र में आद्य-शक्ति कामाख्या कौमारी रूप में सदा विराजमान रहती हैं.Next…
Read more:
Read Comments