दुनिया में किसी इंसान की मुख्य रूप से दो छवि होती है. अच्छा या बुरा, लेकिन इस भौतिक परिभाषा से परे कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अच्छे और बुरी छवि से ऊपर होते हैं. वो सही-गलत से ज्यादा अपने दिल की सुनते हैं.महाभारत की इस रणभूमि में एक योद्धा ऐसा ही था, जो ना पूरी तरह नायक बन सका और ना खलनायक. उसके जीवन की परिस्थितियों ने उसे सदैव दुविधा में खड़ा कर दिया. वो योद्धा था दानवीर कर्ण. कहा जाता है कर्ण में अर्जुन से अधिक सामर्थ्य था किंतु अपने जीवन की 7 गलतियों की वजह से वो अर्जुन हाथों पराजित हो गया.
परशुराम ने दिया था श्राप
गुरू परशुराम जी ने कर्ण को श्राप दे दिया कि तुम मेरी दी हुई शिक्षा उस समय भूल जाओगे, जब तुम्हें इसकी सबसे ज्यादा जरुरत होगी. श्राप का कारण था कि कर्ण ने क्षत्रियों के समान साहस का परिचय दिया था, जिससे गुरु परशुराम क्रोधित हो गए क्योंकि उन्होंने क्षत्रियों को ज्ञान न देने की प्रतिज्ञा ली था.
एक ब्राह्मण का श्राप
एक बार कर्ण रथ पर सवार होकर कहीं जा रहे थे, कि उनके पहिए से एक गाय का बछड़ा दबकर मर गया. एक ब्राह्मण ने ये सब देखकर क्रोधवश कर्ण को श्राप दे दिया की यही रथ तुम्हारी मृत्यु का कारण बनेगा.
दिव्यास्त्र का घटोत्कच पर प्रयोग
कर्ण को देवराज इंद्र से दिव्यास्त्र प्राप्त हुआ था, जिसे कर्ण ने अर्जुन को मारने के लिख रखा था लेकिन श्रीकृष्ण की युक्ति की वजह से घटोत्कच को कौरव सेना पर आक्रमण के लिए भेजा गया, उसके आतंक से परेशान होकर कर्ण को घटोत्कच पर दिव्यास्त्र का प्रयोग करना पड़ा.
श्रीकृष्ण ने दिया था अर्जुन का साथ
जिसके साथ स्वंय श्रीकृष्ण होते हैं, उसे भला कौन हरा सकता है. दुर्योधन ने युद्ध के लिए श्रीकृष्ण की नारायणी सेना मांग ली थी. जबकि अर्जुन ने श्रीकृष्ण को मांग लिया.
कुंती को कर्ण द्वारा दिया वचन
जैसे-जैसे महाभारत युद्ध के दिन बीतते जा रहे थे, वैसे-वैसे कुंती को आभास होता जा रहा था कि पांडव पक्ष कमजोर होता जा रहा है. ऐसे में कुंती ने कर्ण से भेंट करके ये वचन लिया कि वो उनके पुत्रों को हानि नहीं पहुचाएगा.
भूमि माता का दिया श्राप
एक बार किसी नेत्रहीन व्यक्ति को प्यास लगी. कर्ण ने उस व्यक्ति को पानी पिलाने के लिए भूमि में तीर मारकर जल की धारा निकाल ली. अत्यधिक नुकीले तीर से भूमि माता को बहुत कष्ट हुआ और उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि तुम्हें भी एक दिन बाण से कष्ट सहना होगा.
अन्याय का सहयोग
कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति अपना अधिकार पाने और शोषण के विरुद्ध युद्ध लड़ता है तो उस युद्ध को न्याययुद्ध के नाम से जाना जाता है. अन्याय कभी भी जीत नहीं सकता. कर्ण ने कौरवों का साथ दिया जो उसका सबसे बड़ा अपराध बन गया और कर्ण को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा …Next
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केवल इस योद्धा के विनाश के लिए महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण ने उठाया सुदर्शन चक्र
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मरने से पहले कर्ण ने मांगे थे श्रीकृष्ण से ये तीन वरदान, जिसे सुनकर दुविधा में पड़ गए थे श्रीकृष्ण
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