हिंदू मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा से कार्तिक मास की शुरुआत हो जाती है। यह माह नौकरी तलाश रहे और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे छात्रों के लिए बेहद लाभकारी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस माह में भगवान विष्णु और माता लक्षमी छात्रों से जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं। यह माह भी भगवान विष्णु को समर्पित होता है। वहीं, इस महीने में न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ज्यादा सर्दी। इस वक्त को विज्ञान की नजर से भी मन को एक दिशा में लगाने के अनुकूल माना गया है। ऐसे में छात्रों के लिए यह महीना नौकरी पाने और सफलता हासिल करने के लिए अनुकूल माना गया है। छात्रों को सफलता पाने के लिए इस माह में कुछ नियमों का पालन करना होता है। इन नियमों के तहत 5 ऐसे कार्यों का वर्णन किया गया है जिनसे छात्रों को बचना होता है। ऐसा करने से भगावान विष्णु और माता देवी प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूरी होने का वरदान देते हैं।
1. शास्त्रों में कार्तिक मास को भगवान विष्णु का महीना बताया गया है। यह माह छात्रों को सफलता हासिल करने वाला भी कहा गया है। छात्र इस माह मांसाहार से बचें। इसके अलावा किसी भी पशु की हत्या कर उसको खाने की पूर्ण मनाही है। इसके अलावा इस माह के दौरान मछली का सेवन भी पूर्ण रूप से वर्जित है।
2. शास्त्रों के अनुसार इस महीने में शरीर पर तेल की मालिश करने से मनाही बताई गई है। युवाओं और छात्रों के लिए भी इसे वर्जित बताया गया है। इस माह में सिर्फ एक दिन शरीर तेल लगाने की अनुमति दी गई है और वह दिन है नरक चतुर्दशी। इस दिन हर कोई अपने शरीर पर तेल या फिर लेप आदि लगा सकता है।
3. इस महीने में भोजन के सेवन को लेकर भी कुछ नियमों का वर्णन शास्त्रों में किया गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस माह में दाल खाने से परहेज करने की बात की गई है। जिन दालों को खाने की मनाही है उनमें उड़द की दाल, मूंग, मसूर, चना और मटर की दाल शामिल है। इसके अलावा इस माह में राई का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
4. शास्त्रों में वर्णन है कि इस माह में ब्रह्मचर्य का पालन पूरी तरह से करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी तो प्रसन्न होते ही हैं, बल्कि बजरंग बली भी ऐसा करने वाले को सद्बुद्धि का वरदान देते हैं। ऐसे में युवाओं और छात्रों के लिए कार्तिक महीना बेहद खास हो जाता है।
5. शास्त्रों में बताया गया है कि इस महीने में भूमि पर ही सोना चाहिए। इस माह में नींद पाने के लिए सभी ऐशोआराम छोड़ने का विधान बताया गया है। कहा जाता है कि इस माह भगवान विष्णु प्रजा की हाल चाल जानने के लिए भ्रमण करते हैं। ऐसे में वह सात्विक तरीके से जीवन यापन करने वाले साधकों से प्रसन्न होते हैं।…Next
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