हिंदू मान्यताओं के अनुसार एक महिला के जीवन में करवाचौथ व्रत की महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसा भी कहा जाता है कि यह अकेला पर्व ऐसा है जो पत्नियों के लिए होता है। दांपत्य जीवन में करवाचौथ व्रत का बड़ा महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस बार यह व्रत आज यानी 17 अक्टूबर को महिलाएं रख रही हैं। व्रत रखने के दौरान और व्रत तोड़ने से पहले कुछ नियमों के पालन की बात कही गई है। ऐसी मान्यता है कि किसी भी काम को विधि पूर्वक संपन्न नहीं करने पर उसका सही फल नहीं मिलता है। ऐसे में करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए यह नियम जानने बहुत जरूरी हैं।
सारगी ग्रहण महत्वपूर्ण
पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में बताया गया है कि करवा चौथ शिव परिवार के मान सम्मान और भक्ति व श्रद्धा को समर्पित एक दिन का पर्व है। इस पर्व के दौरान सुहागिन महिलाओं को व्रत रखने का विधान है। आमतौर पर व्रत की शुरुआत सूर्यास्त के साथ हो जाती है और चंद्र दर्शन के बाद यह व्रत पूर्ण हो जाता है। लेकिन, सूर्यास्त के समय होने वाले सरगी ग्रहण में व्रत की शुरुआत करना आवश्यक बताया गया है।
सासू मां से मिलें सेवन सामग्री
व्रत की शुरुआत के साथ ही सुहागिन महिलाएं करीब 30 घंटे तक व्रत का पालन करती हैं। इस दौरान वह फल मिठाई खाकर अपनी भूख को शांत रख सकती हैं लेकिन पानी नहीं नहीं ग्रहण कर सकती हैं। व्रत के दौरान खाए जाने वाले फल और मिठाइयां सुहागिन महिलाओं की सासू मां की ओर दी जानी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे व्रत का फल शुभ मिलता है और व्रत पालन करने वाली स्त्री को भूख प्यास नहीं सताती है।
सांसारिक सुखों का त्याग
सुहागिन महिलाएं पूरे दिन व्रत का पालन करते हुए पूजा और आराधना में लगी रहती हैं। व्रत के दौरान महिलाओं को सांसारिक सुखों का त्याग करना होता है। मान्यता है कि सिर्फ अन्न और जल छोड़कर व्रत का विधान पूरा नहीं हो सकता है। इसके लिए जमीन पर सोना, एसी, कूलर और मुलायम बिस्तर लेटने से परहेज करना चाहिए।
शांतिपूर्व व्रत पालन
सुहागिन स्त्रियों के लिए यह बात बेहद जरूरी है कि वह पति के दीर्घायु होने की कामना और दांपत्य जीवन में खुशहाली हासिल करने के लिए निर्जला व्रत का विधि पूर्वक पालन करें। ऐसा नहीं करने पर व्रत का फल नहीं मिलता है। पूरे दिन व्रत पालन के साथ ही पति के सुखी रहने की कामना करना आवश्यक है। इस दिन लड़ाई झगड़े आपके दांपत्य जीवन को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
करवाचौथ कथा का श्रवण
सुहागिन महिलाएं सारा दिन बिन जल के व्रत पालन करती है। इस दौरान उन्हें सांसारिक सुखों का त्याग कर माता गौरी की स्तुति में पूरा दिन जुटे रहना होता है। पूजा की विधि के लिए सर्वप्रथम गजानन और माता गौरी की आरती और पूजा की जाती है। इस के बाद करवा चौथ की कथा सुनने के अतिआवश्यक बताया गया है।
सात्विक भोजन ग्रहण
पूरे विधि विधान के साथ व्रत का पालन करने वाली स्त्रियों को शाम को चांद के दीदार का इंतजार रहता है। शाम को चंद्र दर्शन के साथ ही अर्घ्य देने की परंपरा है। इस दौरान वह छलनी से चांद और पति का दीदार कर जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती हैं। व्रत तोड़ने के लिए शुद्ध जल का लोटे में होना चाहिए। व्रत के बाद का भोजन सात्विक होना जरूरी है। मान्यता है कि व्रत के सही पालन न होने से फल की प्राप्ति नहीं होती है।…Next
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