श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान श्रीहरि विष्णु के सर्वकलामयि अवतार श्रीकृष्ण की जयंती आने वाली है। यशोदा-नन्द के लाला और देवकी-वसुदेव के पुत्र कन्हैया का जन्म रोहिणी नक्षत्र में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि वृष लग्न में हुआ था। इस बार जन्माष्टमी दो दिन यानी कि 2 सितंबर और 3 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं, मंगल गीत गाते हैं और नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गाने के साथ भगवान का जन्म करते है। ऐसे मे चलिए जानते हैं जन्माष्टमी से जुड़ी कुछ खास बातें।
क्योँ मनाया जाता है जन्माष्टमी का पर्व
मामा कंस के अत्याचारों से परेशान होकर, उनके विनाश के लिए, भगवान कृष्ण ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्म लिया था। कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में आधी रात को हुआ था। मथुरा भगवान की जन्म-भूमि है, इसलिए इस त्यौहार को मथुरा में बहुत ही ज़्यादा धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इतना ही नहीं, यहां के मंदिरों में कृष्ण भगवान को आप गोपियों संग रासलीला का आनंद लेते हुए भी देख सकते है। शास्त्रों के मुताबिक 5 हज़ार 243 साल पहले भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा की भूमि पर हुआ था।
व्रत रखने का भी है महत्व
जन्माष्टमी के दिन बहुत सारे लोग व्रत भी रखते हैं, इस दिन अगर आप व्रत रखते हैं तो घर में सुख-समृधि आएगी और शांति बनी रहेगी। स्कंद पुराण की मानें तो जो व्यक्ति सब जानते हुए भी इस दिन व्रत नहीं रखता, उसका जन्म जंगल में सांप के रूप में होता है। इसके विपरीत जो इस व्रत को पूरे विधि-विधान और आस्था के साथ रखता है, उसके घर में लक्ष्मी बनी रहती है और सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।
इस तरह करें जन्मोत्सव पूजा
बाल गोपाल का जन्म रात में 12 बजे के बाद होगा। सबसे पहले आप दूध से उसके बाद दही, फिर घी, फिर शहद से स्नान कराने के बाद गंगाजल से अभिषेक करें, ऐसा शास्त्रों में माना जाता है। इशके बाद भगवान को श्रद्धा भाव से लंगोटी पहनाएं। जिन चीजों से बाल गोपाल का स्नान हुआ है, उसे पंचामृत बोला जाता है। फिर भगवान कृष्ण को नए वस्त्र पहनाने चाहिए। कृष्णजी को आसान पर बैठाकर उनका श्रृंगार करना चाहिए। भगवान को झुला पर बिठाकर झुला झुलाएं और नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की का गाएं।…Next
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