प्रयागराज सिर्फ गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का ही नहीं बल्कि शक्ति का भी प्रमुख केंद्र है। प्रयागराज में शक्ति की साधना के कई प्रमुख मंदिर जैसे अलोपशंकरी, कल्याणी देवी, ललिता देवी आदि देवी के मंदिर हैं। इन सभी मंदिरों में मां ललिता का मंदिर शक्ति के साधकों के लिए विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह स्थान संगम तट से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है। मान्यता है कि प्रयागराज में मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती मां ललिता के चरण स्पर्श करते हुए प्रवाहित हो रही हैं। यही कारण है कि संगम स्नान के पश्चात् इस पावन शक्तिपीठ के दर्शन का विशेष महात्मय है।
पुराणों में मिलता है उल्लेख
दुर्गासप्तशती में हृदये ललिता देवी कहा गया है, अर्थात् मां ललिता प्रत्येक प्राणी के हृदय में वास करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार सती जब अपने पिता प्रजापति दक्ष द्वारा दामाद भगवान शिव का अपमान न सह सकीं तो उन्होंने नाराज होकर यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया था। जब यह बात भगवान शिव को पता चली तो वह उनके शव को लेकर क्रोध में विचरण करने लगे। माता सती से भगवान शिव के मोह को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को काट दिया। चक्र से कटकर अलग होने पर जिन 51 स्थान पर सती के अंग गिरे, वह पावन स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। प्रयाग में सती की हस्तांगुलिका गिरने के कारण राजराजेश्वरी, शिवप्रिया, त्रिपुर सुंदरी मां ललिता देवी का प्रादुर्भाव भय—भैरव के साथ हुआ। यहां माता महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के स्वरूप में विराजित हैं।
108 फीट ऊंचा है माता का मंदिर
जिस स्थान पर कभी माता की अंगुलियां गिरी थीं, वहां पर आज एक 108 फीट ऊंचा गुंबदनुमा एक विशाल मंदिर है। प्रयागराज शहर के मध्य में यमुना नदी के किनारे मीरापुर स्थित मोहल्ले में स्थित यह मंदिर श्रीयंत्र पर आधारित है। माता के इस पावन शक्तिपीठ पर वैसे तो पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के अवसर पर यहां पर विशेष साधना-आराधना के लिए भक्त दूर-दूर से पहुंचते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में माता का प्रतिदिन दिव्य श्रृंगार होता है।
पीपल का पेड़ से करें प्रार्थना
मंदिर परिसर में एक प्राचीन पीपल का पेड़ है, जिसके तने में धागा बांधकर भक्तगण माता से अपनी मुराद पूरी होने के लिए प्रार्थना करते हैं। साथ ही यहां पर भगवान श्री राम, लक्ष्मण, सीता एवं राधा-कृष्ण के साथ श्री हनुमान जी की भव्य मूर्ति स्थापित है।…Next
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