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अपनी मृत्यु से पहले भगवान श्रीकृष्ण यहां रहते थे!

प्रभु श्रीकृष्ण ने जब मथुरा नगरी छोड़ी थी तो उन्होंने द्वारका को अपना निवास स्थान बनाया था. आज से हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्रीकॄष्ण ने इसे बसाया और यही असत्य पर सत्य का विजय कराई. द्वारका भारत के पश्चिम में समुद्र के किनारे बसी है. श्रीकृष्ण मथुरा में उत्पन्न हुए, गोकुल में पले, पर राज उन्होंने द्वारका में किया. यहीं बैठकर उन्होंने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली. पांड़वों को सहारा दिया, धर्म और अधर्म की लड़ाई में धर्म की जीत कराई. इस स्थान का धार्मिक महत्व तो है ही रहस्य भी कम नहीं है. आइए जानते हैं इस महान द्वारका नगरी की कुछ महत्वपूर्ण बातें:-


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भगवान श्रीकृष्ण का यह मंदिर एक परकोटे से घिरा है. मंदिर के चारों ओर दरवाजा है. मंदिर के उत्तर में स्थित मोक्ष द्वार है तो दक्षिण में स्थित स्वर्ग प्रमुख है. सात मंज़िले मंदिर का शिखर 235 मीटर ऊंचा है. देखने में यह मंदिर भव्य और आकर्षक है.



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हिन्दुओं का सबसे भव्य और महान द्वारकाधीश मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्रतीर्थ घाट है. उससे कुछ ही दूरी पर अरब सागर है, वहीं पर समुद्रनारायण मंदिर स्थित है इसके समीप ही पंचतीर्थ है. वहां पांच कुओं के जल से स्नान करने की परपंरा है. बहुत से भक्त मंदिर दर्शन से पहले गोमती में स्नान करते हैं. यहां से 56 सीढ़ियां चढ़कर स्वर्ग द्वार से मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं. मंदिर के पूर्व दिशा में शंकराचार्य द्वार स्थापित शारदा पीठ स्थित है.



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आज भी द्वारका की महिमा है। यह चारों धाम में एक है. सात पुरियों में एक पुरी है. इसकी सुन्दरता बखान नहीं की जा सकती. समुद्र की बड़ी-बड़ी लहरें उठती है और इसके किनारों को इस तरह धोती है, जैसे इसके पैर पसार रही हो. द्वारका एक छोटा-सा-कस्बा है. कस्बे के एक हिस्से के चारों ओर चारदीवार खिंची है इसके भीतर ही सारे बड़े-बड़े मंदिर है.


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कहा जाता है कि श्रीकृष्ण की मृत्यु के साथ उनकी बसाई हुई यह नगरी समुद्र में डूब गई. आज भी यहां उस नगरी के अवशेष मौजूद हैं. लेकिन प्रमाण आज तक नहीं मिल सका कि यह क्या है. विज्ञान इसे महाभारतकालीन निर्माण नहीं मानता. काफी समय से जाने-माने शोधकर्ताओं ने यहां पुराणों में वर्णित द्वारिका के रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित कोई भी अध्ययन कार्य अभी तक पूरा नहीं किया गया है. समुद्र की गहराई में कटे-छटे पत्थर मिले और यहां से लगभग 200 अन्य नमूने भी एकत्र किए, लेकिन आज तक यह तय नहीं हो पाया कि यह वही नगरी है अथवा नहीं जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था. Next…

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