भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु का अवतार बताया गया है जो धरती पर हो रहे पापों को नष्ट करने और दोषियों को उनकी सही जगह पर भेजने के लिए अवतरित हुए थे। श्रीकृष्ण का जन्म धरती पर सत्य की रक्षा के लिए हुआ था। श्रीकृष्ण के जन्म के बारे में लगभग सभी लोगों को पता है लेकिन उनकी मौत कैसे हुई और उनकी 16000 हजार रानियों का क्या हुआ, इस बारे में कम लोगों को ही ज्ञात है। यहां हम आपको श्रीकृष्ण की मृत्यु और अर्जुन के मंत्र भूलने के बारे में बताने जा रहे हैं।
मथुरा और महाभारत
श्रीकृष्ण ने गोकुल और वृंदावन में अपनी बाल्यावस्था और युवावस्था का लंबा समय बिताया। यहां श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला की और सुदामा के साथ मित्रता की तो मथुरा के लोगों को मामा कंस के आतंक से मुक्त कराया। इसके बाद श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम को लेकर द्वारका चले गए। द्वारका में उन्होंने अपना साम्राज्य स्थापित किया। महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण ने पांडवों का साथ दिया और अर्जुन के सारथी बने। परिवार के खिलाफ जब अर्जुन ने लड़ने से मना किया तो श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान समझाया। युद्ध में कौरव की हार हुई और वह सभी मारे गए।
गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया
अपने बेटे की मौत का शोक मनाने जब कौरवों की माता गांधारी युद्धस्थल पर पहुंची तो वह अपने 100 बेटों के शव देखकर विलाप करने लगीं। गांधारी ने अपने कुरुवंश और उनके बेटों के नाश का दोषी श्रीकृष्ण बता दिया। गांधारी ने गुस्से में आकर श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस तरह उनके वंश का नाश हुआ है ठीक उसी तरह 36 वर्ष बाद श्रीकृष्ण के यदुकुल वंश का भी नाश हो जाएगा। यदुवंश के लोग कुरुवंश की भांति ही आपस में लड़कर मरेंगे।
आपस में लड़े यदुवंशी
गांधारी के श्राप के ठीक 36 साल बाद श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी में पाप, व्यभिचार और अनैतिक कार्य बढ़ गए। इन पापों से मुक्ति पाने के लिए श्रीकृष्ण ने यदुकुल को प्रभास नदी स्नान और तप करने का आदेश दिया। यदुकुल प्रभास नदी पर पहुंचा तो यहां सभी मदिरापान करने लगे और नशे में चूर होकर आपस में लड़ने। यहां यदुवंश के दो प्रतापी योद्धाओं सात्यकी और कृतवर्मा में बहस के बाद युद्ध छिड़ गया। नशे में चूर सात्यकी ने कृतवर्मा की हत्या कर दी। इसे बाद यदुवंश योद्ध आपस में लड़कर मारे गए।
श्रीकृष्ण ने प्रभास नदी किनारे देह त्यागी
प्रभास नदी के किनारे यदुवंश के योद्धाओं की मौत के बाद श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यदुवंश के खत्म होने का संदेशा भिजवाया और स्वयं प्रभास नदी के किनारे विश्राम करने लगे। इस बीच एक बहेलिया वहां पहुंचा और श्रीकृष्ण के पैर में मौजूद मणि को वह हिरन की आंख समझ बाण चला दिया। गांधारी के के चलते महाभारत युद्ध के ठीक 36 वर्ष बाद श्रीकृष्ण और उनके यदुवंश का नाश हो गया। मानव रूप में श्रीकृष्ण ने शरीर त्याग दिया और बैकुंठ को रवाना हो गए।
यदुवंश का अंतिम संस्कार और 16000 रानियां
श्रीकृष्ण का संदेशा पाकर अर्जन द्वारिका पहुंचे यहां श्रीकृष्ण की मौत की सूचना पाकर वह विलाप करने लगे। अर्जुन ने द्वारका में मौजूद श्रीकृष्ण की 16000 रानियों और वहां मौजूद बच्चों को लेकर इंद्रप्रस्थ के लिए रवाना होने लगे। इस बीच समंदर में पानी बढ़ गया और मलेच्छ, लुटेरों ने हमला कर दिया। अर्जुन ने हमलावरों को जैसे ही धनुष की प्रत्यंचा खींची श्राप के चलते वह अस्त्र चलाने के सभी मंत्र भूल गए। समंदर में द्वारिका डूब गई, लेकिन अर्जुन रानियों को बचाकर इंद्रप्रस्थ ले आए। यहां पांडवों ने श्रीकृष्ण और यदुवंश के मारे गए वीरों का विधिवत अंतिम संस्कार किया। इस दौरान इंद्रप्रस्थ कई दिनों का शोक रहा।…Next
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