Menu
blogid : 19157 postid : 1388172

नंदी कैसे बना भगवान शिव की सवारी, शिवपुराण में लिखी है यह पौराणिक कहानी

आपने भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर देखकर गौर किया होगा कि शिव के आसपास एक नंदी बैल जरूर होता है और भगवान शिव के साथ नंदी को भी लोग पूजते हैं और उनसे मन्नते मांगते हैं। लेकिन आपके कभी सोचा है कि इसका पीछे क्या वजह हैं, क्‍यों नंदी के बिना शिवलिंग को अधूरा माना जाता है। अगर नहीं तो आइए आपको बताते हैं आखिर क्या है इसके पीछे की कहानी।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal1 Jul, 2019

 

cover 1

 

अगर शिवपुराण की बात करें तो उसमें लिखा गया है कि, शिलाद नाम के ऋषि थे। जिन्‍होंने लम्‍बे समय तक शिव की तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान शिव ने उनकी तपस्‍या से खुश होकर शिलाद को नंदी के रूप में पुत्र दिया था।

 

Lord-Shiva-

 

शिलाद ऋषि एक आश्रम में रहते थे, उनका पुत्र भी उन्‍हीं के आश्रम में ज्ञान प्राप्‍त करता था। एक समय की बात है शिलाद ऋषि के आश्रम में मित्र और वरुण नामक दो संत आए थे। जिनकी सेवा का जिम्‍मा शिलाद ऋषि ने अपने पुत्र नंदी को सौंपा। नंदी ने पूरी श्रद्धा से दोनों संतों की सेवा की, संत जब आश्रम से जाने लगे तो उन्‍होंने शिलाद ऋषि को दीर्घायु होने का आर्शिवाद दिया पर नंदी को नहीं।

 

 

Lord-Shiva-Nandi

 

इस बात से शिलाद ऋषि परेशान हो गए, अपनी परेशानी को उन्‍होंने संतों के आगे रखने की सोची और संतों से बात का कारण पूछा। तब संत पहले तो सोच में पड़ गए, पर थोड़ी देर बाद उन्‍होंने कहा, नंदी अल्पायु है। यह सुनकर मानों शिलाद ऋषि के पैरों तले जमीन खिसक गई,शिलाद ऋषि काफी परेशान रहने लगे।

Mahanandi-Temple-Nandi-600x400

 

एक दिन पिता की चिंता को देखते हुए नंदी ने उनसे पूछा, ‘क्या बात है, आप इतना परेशान क्‍यों हैं पिताजी’। शिलाद ऋषि ने कहा संतों ने कहा है कि तुम अल्पायु हो, इसीलिए मेरा मन बहुत चिंतित है। नंदी ने जब पिता की परेशानी का कारण सुना तो वह बहुत जोर से हंसने लगा और बोला, ‘भगवान शिव ने मुझे आपको दिया है। ऐसे में मेरी रक्षा करना भी उनकी ही जिम्‍मेदारी है, इसलिए आप परेशान न हों’।

 

maxresdefault

 

नंदी पिता को शांत करके भुवन नदी के किनारे भगवान शिव की तपस्या करने लगे। दिनरात तप करने के बाद नंदी को भगवान शिव ने दर्शन दिए। शिवजी ने कहा, ‘क्‍या इच्‍छा है तुम्‍हारी वत्स’। नंदी ने कहा, ‘मैं हमेशा आपकी शरण में रहना चाहता हूं’।

 

Lord-Shiva-Nandi

 

नंदी से खुश होकर शिवजी ने नंदी को गले लगा लिया। शिवजी ने नंदी को बैल का चेहरा दिया और उन्हें अपने वाहन, अपना मित्र, अपने गणों में सबसे उत्‍तम रूप में स्वीकार कर लिया। इसके बाद ही शिवजी के मंदिर के बाद से नंदी के बैल रूप को स्‍थापित किया जाने लगा।…Next

Read more :

शिव भक्तों के लिए काँवड़ बनाता है ये मुसलमान

अपनी पुत्री पर ही मोहित हो गए थे ब्रह्मा, शिव ने दिया था भयानक श्राप

भगवान शिव के आभूषणों का योग और जीवन से ये है संबंध

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh