हिंदू मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के बाद स्वर्ग में निवास करने की चाहत हर ब्राह्मण परिवार करता है। इसके लिए निर्धारित वेद पुराणों का ज्ञान और देवताओं की पूजा समेत कई तरह के विधान बताए गए हैं। लेकिन एक ऐसे ब्राह्मण पुरुष भी हुए हैं जिन्होंने जीवन भर कभी पूजा नहीं की फिर भी एक मंत्र के जाप के कारण उन्हें स्वर्ग में रहने का अधिकार मिला। यह कथा माघ पूर्णिमा और भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है।
पुराणों में खास महत्व
माघ माह की पूर्णिमा का हिंदू पुराणों में खास महत्व बताया गया है। यह पवित्र तिथि आज यानी 9 फरवरी को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और गंगा में स्नान करने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे जीवन में भर में किए गए सभी पापों और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पूजा और खास मंत्र के जाप करने की बात कही गई है।
पृथ्वी भ्रमण पर निकले विष्णु
माघ माह की एकादशी को पृथ्वी भ्रमण पर निकले भगवान विष्णु माघ पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने के बाद भक्तों को परदान देते हैं। इसीलिए माघ पूर्णिमा का हिंदू पुराणों में खास महत्व बताया गया है। माघ पूर्णिमा से जुड़ी कथा के अनुसार स्कंदपुराणा के रेवाखंड में शुभव्रत ब्राह्मण का जिक्र किया गया है। कथा के अनुसार शुभव्रत ने वेद पुराणों का ज्ञान हासिल किया लेकिन जीवन भर कभी पूजा पाठ नहीं की।
ब्राह्मण धर्म का पालन
शुभव्रत ने ब्राह्मण होते हुए अपने धर्म का पालन करने की बजाय धन दौलत अर्जित करने में अपनी जिंदगी गुजार दी। जब वह वृद्धावस्था में पहुंच तो उसे अपनी मृत्यु का भय और कर्मों की याद सताने लगी। उसने अपने जीवन को याद किया तो पाया कि उसने कभी भी ब्राह्मण धर्म का पालन नहीं किया और भी भगवान की पूजा आराधना के लिए समय नहीं निकाला। यह सोचकर वह दुखी हो गया।
बाल्यकाल में याद मंत्र
शुभव्रत को बाल्यकाल में याद किए भगवान विष्णु का मंत्र ‘माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्त’ याद आ गया। शुभव्रत ने शैय्या पर लेटे लेटे ही इस मंत्र का जाप शुरु कर दिया और लगातार नौ दिन तक बिना कुछ खाए पिये मंत्र पढ़ता रहा। नौंवें दिन वह गंगा स्नान के लिए उठा और स्नान के बाद उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद वह सीधा स्वर्ग पहुंचा। दरअसल, शुभव्रत ने जिस दिन गंगा स्नान किया वह माघ माह की पूर्णिमा थी। इस तिथि में स्वयं हरि गंगा स्नान के लिए पृथ्वी पर थे।…Next
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