महाभारत की अनगिनत कहानियों में ऐसे कई पात्र हैं, जिनके जीवन को समझना हर किसी के वश की बात नहीं है। इनमें से कई योद्धाओं को अपने पूर्वजन्म में किए गए कर्मों के कारण ही द्वापर युग में ऐसा फल भोगना पड़ा।
महाभारत में धृतराष्ट्र भी एक ऐसे ही पात्र हैं, जिन्होंने पुत्र मोह में आकर हमेशा से ही धर्म और न्याय को अनदेखा किया जिसकी वजह से पूरी न्याय व्यवस्था धराशायी हो गई थी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धृतराष्ट्र जन्म से नेत्रहीन थे, ये उनके पूर्वजन्म में किए गए पाप का फल था।
इस श्राप के कारण धृतराष्ट्र हुए थे नेत्रहीन
धृतराष्ट्र अपने पिछले जन्म में एक बहुत दुष्ट राजा थे। एक दिन उन्होंंने देखा कि नदी में एक हंस अपने बच्चों के साथ आराम से विचरण कर रहा है।उन्होंंने आदेश दिया कि उस हंस की आंंखें फोड़ दी जाए और उसके बच्चों को मार दिया जाये। इसी वजह से अगले जन्म वे नेत्रहीन पैदा हुए थे। उसके पुत्र भी उसी तरह मृत्यु को प्राप्त हुए जैसे उस हंस के बच्चों के साथ हुआ था।
हंस ने दिया था श्राप
हंस ने मरते हुए धृतराष्ट्र को ये श्राप दिया था कि जिस तरह उसके नेत्रों को निकाला गया है और उसका जीवन समाप्त कर दिया गया। उसी तरह अगले जन्म में नेत्र न होने की वजह से धृतराष्ट्र को जीवनभर अपमानित होना पड़ेगा।
साथ ही उसके सामने उसके पुत्रों की हत्या की जाएगी, लेकिन नेत्रहीन होने के कारण वो चाहकर भी अपने पुत्रों का मुख नहीं देख पाएगा। हंस का दिया हुआ ये श्राप धृतराष्ट्र के अगले जन्म में फलीभूत हुआ और नेत्रहीन होने के कारण धृतराष्ट्र को जीवनभर अपमानित होना पड़ा…Next
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