हिंदू मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह का विशेष महत्व माना गया है। श्रीकृष्ण ने इस माह को स्वयं का स्वरूप भी बताया है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का मुहूर्त भी आज ही के दिन यानी 26 नवंबर को बना है। इस दिन अर्जुन ने अपने परिजनों के खिलाफ युद्ध लड़ने से इनकार कर दिया था और अपने हथियारों को रथ पर डाल दिया था।
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
मार्गशीर्ष माह की 15वीं तिथि को अमावस्या का मुहूर्त बनता है। इस वर्ष यह तिथि 26 नवंबर को पड़ रही है। मार्गशीर्ष माह कई व्रत, पर्व और विशेष मुहुर्त के कारण खास महत्व रखता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या की प्राताकाल गंगा स्नान और सूर्योदय को जल अर्पित करने से अनजाने में हुए कर्मों के पापों से निजात मिलती है। इसके अलावा इस दिन विधि विधान से व्रत और पूजा करने संतान की कामना रखने वाली स्त्रियों की कोख सूनी नहीं रहती है।
पितृ दोष से मुक्ति का मार्ग
मार्गशीर्ष अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी महत्वपूर्ण बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध में मारे गए परिजनों और पितरों के दोष से मुक्ति पाने के लिए पांडवों ने मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन नदी स्नान कर व्रत रखा और पूजा कर पितृ दोष से मुक्ति पाई थी। मान्यताओं के अनुसार इस अमावस्या पर विधि विधान से पूजा, व्रत, दान और आरती करने से जीवनभर में चढ़े तमाम तरह के कर्जों से मुक्ति भी मिल जाती है।
महाभारत युद्ध की शुरुआत
मार्गशीर्ष माह की 14वी तिथि को ही महाभारत युद्ध की शुरुआत हुई थी। महाभारत युद्ध के पहले दिन पांडव सेना को भारी नुकसान हुआ था। भीष्म पितामह और राजा शल्य ने विराट नरेश के पुत्र उत्तर और श्वेत का वध कर दिया था। युद्ध के दूसरे दिन यानी मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन अर्जुन को भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य का वध करने को कहा गया। इस पर अर्जुन ने अपने पितामह और गुरु के खिलाफ हथियार उठाने से मना कर दिया और धनुष बाण को रथ पर रख दिया।
अर्जुन ने हथियार डाले तो प्रकट हुए नारायण
अर्जुन के युद्ध से इनकार करने पर उनके सारथी की भूमिका निभा रहे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया और बताया कि अगर इन दोनों शूरवीरों का तुम वध नहीं करोगे तो यह पूरी पांडव सेना का नाश कर देंगे और युधिष्ठिर को हार का मुंह का देखना पड़ेगा। इसके बाद भी अर्जुन के शस्त्र नहीं उठाने पर श्रीकृष्ण ने उन्हें अपना विराट नारायण स्वरूप दिखाया और गीता का ज्ञान दिया। यह तिथि मार्गशीर्ष अमावस्या ही थी। महाभारत का युद्ध लगातार 18 दिन चला और अंत में पांडवों की विजय हुई।…Next
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