पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान बुध देव अन्य गृहों के स्वामियों में सबसे सुंदर हैं। वह वैदिक विद्या, सुंदरता और बुद्धि समे सभी कलाओं के स्वामी हैं। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन बुध देव की आराधना और व्रत पालन करने का वर्णन शास्त्रों में किया गया है। ऐसा करने वाले लोगों को सुंदर, छरहरे शरीर, तेज बुद्धि और वाचाल होने का वरदान हासिल होता है, जिससे आपको शोहरत हासिल हो सकती है।
सबसे सुंदर और बुद्धिमान देव
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक स्वर्ग में सभी नौ गृहों के स्वामी देवताओं में कौन सबसे सुंदर इसकी बहस छिड़ गई। इंद्र के सामने सभी देवताओं ने अपनी अपनी दावेदारी पेश की। इस बीच कामदेव भी वहां पहुंच गए और उनको देखकर देवताओं ने उन्हें सबसे सुंदर मान लिया। इस बहस में बाद में शामिल हुए बुध देव के गौरवर्ण और छरहरे शरीर को देखकर कामदेव ने बुध देव को सबसे सुंदर बताया। बुध देव की वाक पटुता और तीक्ष्ण बुद्धि के चलते बाकी देवताओं को भी उन्हें सुंदर मानना पड़ा। स्वर्ग के स्वामी इंद्र ने बुध देव को देवताओं का युवराज घोषित किया।
पूजा व्रत, स्नान और दान का फल
देवताओं के युवराज बुध देव की पूजा का विधान और इससे मिलने वाले लाभों का वर्णन किया गया है। पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन बुध देव की आरती करने और उनका व्रत रखने वाले लोगों को बीमारी से मुक्ति हासिल होती है, उन्हें सुदरता, मजबूत छरहरा शरीर और तेज बुद्धि का वरदान मिलता है। पूजा करने के लिए प्राताकाल में गंगा स्नान कर सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद बुध देव की पूजा शुरू होती है। इस दौरान व्रत रखा जाता है और आरती के साथ उनके मंत्रों का जाप किया जाता है।
आज धारण करें धातु
बुध देव को प्रसन्न करने के लिए बुधअष्टमी के दिन धातु धारण करना चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में बुध दोष होता है उन्हें दाएं हाथ की कनिष्ठिका अंगुली में सोना, कांसा, पन्ना या प्लेटिनम की धातु से बनी अंगूठी पहननी चाहिए। इस दिन दाल, फल, कांसा दान करने की भी परंपरा है। किन्नरों को हरे वस्त्र और चूडि़यां दान करने से बुध देव प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने वाले लोग अच्छे वकील, शिल्पकार, चिकित्सक और कलाकार बनते हैं।…Next
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