हिंदू कैलेंडर का नवां महीना मार्गशीष आज यानी 13 नवंबर से शुरू हो गया है। इस महीने में नदी स्नान का विधान शास्त्रों में बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस माह को अपना स्वरूप बताते हुए अति फलदायी कहा है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने जो भी नदियों में सच्ची श्रद्धा से स्नान करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यह महीना युवक और युवतियों के बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है।
नदी स्नान से धुल जाएंगे सभी पाप
हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह की मृगसिरा नक्षत्र से युक्त होती है, इसलिए इसका नाम मार्गशीष है। इस माह बहते जल यानी नदी, झरना या सरोवर में स्नान की परंपरा बताई गई है। ऐसा कहा जाता है कि इस माह में भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी के भ्रमण पर निकलते हैं। शद्धता प्रिय होने के चलते जो भी व्यक्ति इस महीने में प्राताकाल नदी स्नान कर पूजा करता है तो वह उसे वरदान स्वरूप उसकी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं। इसके साथ ही उस व्यक्ति पाप भी धुल जाएंगे।
श्रीकृष्ण ने गोपियों को बताया रास्ता
श्रीमद्भागवत गीता में वर्णन के मुताबिक श्रीकृष्ण ने मार्गशीष महीने को अपना स्वरूप बताया है। उन्होंने कहा कि इस माह में जो भी नदियों में स्नान करेगा, उसको मेरी कृपा हासिल होगी। श्रीकृष्ण कथा के अनुसार एक बार यमुना किनारे विहार के दौरान गोपिकाओं ने कृष्ण से पूछा कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें हासिल करना चाहे तो कौन सा रास्ता उसे चुनना चाहिए या उसे क्या करना चाहिए। इस जवाब में श्रीकृष्ण ने कहा कि जो भी मार्गशीष माह में यमुना नदी में स्नान करेगा उसे वह प्राप्त हो सकते हैं। मान्यता है कि इसी घटनाक्रम के बाद मार्गशीर्ष माह में नदी स्नान की परंपरा की शुरुआत हो गई।
नदी स्नान नहीं कर पाए तो ये उपाय अपनाएं
जानकारों के मुताबिक जो व्यक्ति नदी, सरोवर में स्नान नहीं कर सकता है उसके लिए भी शास्त्रों में उपाय बताए गए हैं। कहा गया है कि जो व्यक्ति नदी स्नान नहीं कर सकता है और वह अपने घर में ही स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण का वरदान हासिल करना है। उस व्यक्ति को बृह्म मुहूर्त में निद्रा से उठना होगा। इसके साथ ही शुद्ध मन और शुद्ध जल में तुलसी के पत्ते डालने के बाद उस जल से स्नान करना होगा। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की आरती और पूजा करनी होगी। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मार्गशीष माह में नदी स्नान के बराबर शुभ फल प्राप्त होते हैं।…Next
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