हिंदू धर्म में जन्म से पहले और मृत्यु के बाद तक धार्मिक कर्मकांड कराने के लिए शुभ मुहूर्त को ही सर्वोपरि रखा गया है। विवाह जैसे पवित्र बंधने के लिए शुभ मुहूर्त तो और भी अहम बन जाता है। इस वक्त सभी भगवान विश्राम से जग चुके हैं और सूर्य देव उत्तरायण में हैं। यह समय हिंदू मान्यताओं के मुताबिक शुभ कार्यों के लिए सही माना गया है।
जनवरी में खरमास खत्म
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार देवताओं के लिए 6 महीने का एक दिन और 6 महीने की एक रात होती है। देवता 6 महीने सोते यानी विश्राम करते हैं और 6 महीने जगते हैं। विश्राम की अवस्था को दक्षिणायन और जगने की अवस्था को उत्तरायण कहा जाता है। इसका मतलब पृथ्वी पर मनुष्य दक्षिणायन के 6 महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं और इस अवस्था को खरमास के नाम से जाना जाता है।
जीवन के 3 अहम कार्यों में विवाह पहला
इस वर्ष 14 जनवरी की रात से सूर्य देव दक्षिणायन से चलकर उत्तरायण में प्रवेश कर चुके हैं। इस वजह से सभी देवता विश्राम पूरा कर सृष्टि के भ्रमण पर निकल चुके हैं। पृथ्वी पर इसका मतलब शुभ कार्यों का शुभारंभ माना गया है। जीवन में सबसे तीन सबसे महत्वपूर्ण और अहम कार्य माने गए हैं। पहला है विवाह के बंधन में बंधना और दूसरा पिता बनना और तीसरा पिता की अंतिम क्रियाओं को संपन्न करने के बाद मृत्यु को हासिल करना।
जनवरी में केवल 8 शुभ तिथियां
पहला कार्य विवाह हर किसी के लिए अति उत्साह वाला और जीवन को नई दिशा और दशा प्रदान करने वाला होता है। इसलिए वैवाहिक कार्यक्रम शुभ मुहुर्त में ही पूरा करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस वर्ष विवाह के लिए शुभ मुहुर्त के लिए जनवरी में केवल 8 तिथियां ही शुभ थीं। हालांकि, फरवरी में ग्रह नक्षत्रों के बदलाव के चलते वैवाहिक शुभ मुहुर्त और तिथियों में विस्तार हुआ है।
फरवरी में विवाह के लिए 13 तिथियां
फरवरी में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त के लिए कुल 13 तिथियां हैं। पहली फरवरी से शुभ तिथियों की शुरुआत हो रही है। 1 फरवरी, 3, 4, 9, 10, 11, 14, 15, 16, 25, 26, 27, 28 फरवरी शुभ तिथियां हैं। इनमें विवाह रस्मों और फेरों का शुभ मुहूर्त बन रहा है। फरवरी के बाद मार्च माह में दो तारीखों में विवाह का मुहुर्त बन रहा है और अप्रैल में 5 तिथियां विवाह के लिए शुभ हैं।…Next
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