शिवलिंग की पूजा करते हुए आपने शिवभक्तों को जरूर देखा होगा परन्तु क्या आपने देवी को प्रसन्न करने के लिए लिंग की पूजा करते हुए भक्तों को देखा है? निश्चित रूप से यह थोड़ा अजीब लग रहा होगा आपको. यकीन मानिए यह मंदिर भक्तों की मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है. यदि आप वर्ष के किसी भी समय देवी के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो यह संभव नहीं है क्योंकि इस देवी की पूजा साल में मात्र एक दिन ही होती है. यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन खुलता है.
अपने-आप में यह अनोखा मंदिर छत्तीसगढ़ के अलोर गांव में एक पहाड़ी पर स्थित है. अब आप सोच रहे होंगे कि मंदिर में देवी की पूजा लिंग के रूप में क्यों होती है? ऐसी मान्यता है कि इस लिंग में शिव और शक्ति दोनों समाहित है. यही कारण है कि शिव और शक्ति की पूजा सम्मिलित रूप में करने के लिए यहाँ भक्त आते हैं.
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मान्यता है कि वैसे दंपत्ति जिन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं है उन्हें देवी संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देती हैं. कहते हैं कि यहां से मांगी गई मन्नत देवी जरूर पूरी करती हैं. इसलिए निःसंतान दंपत्ति इस मंदिर में आकर संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगते हैं. माता के दर्शन के लिए आपको लिंगई गट्टा पहाड़ी तक जाना होगा. यहीं पहाड़ी पर गुफा में माता लिंग रूप में विराजमान है.
यहाँ लिंगई माता मंदिर में मन्नत मांगने का तरीका भी अनोखा है. यहां मन्नत पूरी होने के लिए देवी के समक्ष खीरे का प्रसाद चढ़ाया जाता है. प्रसाद रूप में भेंट किए गए खीरे को पुजारी पूजा के बाद संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को लौटा देता है. इस प्रसाद को नाखून से दो भागों में बांटकर तोड़ना होता है. एक एक हिस्सा लिंग के सामने ही पति-पत्नी ग्रहण करते हैं. इससे निःसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है.
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मान्यता है कि पहले इस लिंग की ऊंचाई कम थी जो अब करीब दो फीट की है और यह धीरे-धीरे बढ़ रही है. हालांकि माता के इस मंदिर में प्रवेश करना बहुत कठिन है क्योंकि प्रवेश द्वार बहुत ही संकरा है. इस मंदिर में भक्त लेटकर या बैठकर प्रवेश करते हैं.Next…
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