सावन का महीना आते ही देवो के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए देश के तमाम मंदिरों में रूद्राभिषेक की प्रक्रिया चालू हो गई है। भगवान शिव के भक्तों के लिए सावन एक ऐसा महीना है जिसमें वो भोले के रंग में रंग जाते हैं। सावन में सोमवार और भगवान शिव के अलावा एक और चीज बेहद खास मानी जाती है वो है भगवाल के शिवलिंग की पूजा जिसपर जल चढ़ाने के लि एभक्त मीलों की यात्रा करते हैं। तो चलिए जानते हैं आखिर किस शिवलिंग की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और फलदायी मानी जाती है।
नर्मदा से निकलता है नर्मदेश्वर
ग्रंथों में नर्मदा को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है। मान्यता है कि जो फल गंगा नदी में स्नान से मिलता है, वही फल मात्र नर्मदा नदी के दर्शन से प्राप्त होता है। इसका उल्लेख नर्मदा पुराण में भी किया गया है। नर्मदा से निकला हर कंकड़ भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। नर्मदा से निकले शिवलिंग को नर्मदेश्वर भी कहा गया है। जिसका उल्लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में किया गया है।
भगवान शिव की पुत्री हैं नर्मदा
नर्मदा से निकलने वाले पत्थर शिवलिंग के आकार के होते हैं। पौराणिक कथाओं में माना गया है कि चूंकि नर्मदा भगवान शिव की पुत्री हैं, इसलिए नर्मदा में ही शिवलिंग निर्मित होते हैं। देश की अन्य नदियों में मिलने वाले पत्थर पिंड के रूप में नहीं मिलते हैं। इससे यह प्रमाणित होता है कि केवल नर्मदा नदी पर ही शिव कृपा है।
नर्मदा उल्टी दिशा में बहती है
नर्मदा देश की ऐसी नदी है जो पूर्व से पश्चिम की ओर उल्टी दिशा में बहती है। देश के प्रतिष्ठित मंदिरों में नर्मदा से निकले शिवलिंग ही स्थापित किए गए हैं। नर्मदा किनारे खुद 10 करोड़ तीर्थ बने हुए हैं। इन तीर्थों में नर्मदेश्वर विराजमान हैं। मत्स्य पुराण में नर्मदा के किनारे बसे तीर्थों का उल्लेख है।….Next
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