Narasimha Jayanti 202: नरसिंह भगवान को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। उन्हें अपने भक्त को दुश्मन से रक्षा करने और उसे खुशहाली का वरदान देने के लिए लोग पूजते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन वैशाख माह में नरसिंह भगवान ने अवतार लिया था।
भक्त की रक्षा के लिए पधारे हरि
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान नरसिंह की जयंती मनाई जाती है। आज पूरे देश में यह जयंती मनाई जा रही है। मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी और अधर्मी असुर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
नरसिंह अवतार कथा
कश्यप ऋषि को अपनी पत्नी दिति से दो पुत्र प्राप्त हुएु हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप। यह दोनों असुर प्रवत्ति के थे। असुरराज हिरण्यकश्प का बेटा प्रह्लाद सतकर्म करने वाला था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्प ने ब्रह्मा से वरदान हासिल किया था कि उसे कोई नहीं मार सकता है। उसके अत्याचारों से त्राहिमाम मच गया।
हिरण्यकश्यप का वध
बेटे प्रह्लाद की जान के पीछे भी हिरण्यकश्प पड़ गया तो प्रह्लाद ने अपने आराध्य विष्णु को पुकारा। भक्त की करुणाभरी आवाज सुनकर विष्णु भगवान ने नरसिंह अवतार लिया और खंभा फाड़कर प्रकट हो गए। उन्होंने प्रह्लाद की रक्षा की और अत्याचारी असुरराज हिरण्यकश्यप का वध किया।
ऐसे पाएं दुश्मन से मुक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद
भगवान नरसिंह से खुशहाली और समृद्धि के साथ दुश्मन से मुक्ति के लिए 6 मई को तय मुहूर्त में विधि विधान से पूजा करनी होगी। मुहूर्त 6 मई को 2 घंटे 41 मिनट के लिए रहेगा। इसकी शुरूआत शाम 04:19 बजे से 07:00 बजे तक रहेगी।
पूजा विधि और व्रत संकल्प विधि
प्राताकाल शुद्ध जल से स्नान करने के बाद सूर्य की ओर मुख कर जल हाथ में लेकर व्रत का संकल्प धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूजा कलश स्थापित करें। इसके पश्चात विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों की स्थापना कर भगवान विष्णु के मंत्र का जाप प्रारंभ करें। पूजा के बाद फलाहार कर सकते हैं। सांयकाल भजन कीर्तन करें और अगले दिन सूर्योदय के समय पारण कर पूजा विधि और व्रत पूर्ण करें। ऐसा करने से भगवान नरसिंह का आशीर्वाद भक्तों को जरूर मिलेगा।…Next
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