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इस कारण से दुर्योधन के इन दो भाईयों ने किया था उसके दुष्कर्मों का विरोध

आलीशान महल में कीमती वस्त्रों और दुर्लभ आभूषणों से सजे हुए राजा और मंत्री मूकदर्शी बनकर बैठे हुए थे. पूरा महल एक स्त्री की चीख-पुकार से गूंज रहा था. कभी उसके केश पकड़कर जमीन पर घसीटा जाता तो कभी उसके वस्त्रों को खींचने का प्रयास किया जाता. ऐसा लगता था, मानो उस स्त्री के साथ इस अपमानजनक व्यवहार को भाग्य का लिखा मानकर सभी मौन हो गए हो. लेकिन पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी स्वंय अपनी योद्धा बनकर स्वंय को बचाने का प्रयास कर रही थी.


draupadi cheerharan

इस मंदिर में की जाती है महाभारत के खलनायक समझे जाने वाले दुर्योधन की पूजा

धर्म का ज्ञान देने वाले योद्धा और शूरवीर भी मौन थे. लेकिन ऐसा नहीं था कि सभी कौरव इस दृश्य का आनंद दे रहे थे बल्कि सौ कौरवों में से एक विकर्ण और युयुत्सु को दुर्योधन का ये आदेश बहुत नीचताभरा कृत्य लग रहा था. विकर्ण ने सभा में खड़े होकर दुर्योधन के इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया. साथ ही युयुत्सु भी इस अपने बड़े भाई के इस लज्जाजनक कृत्य पर क्रोधित था.


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क्यों चुना गया कुरुक्षेत्र की भूमि को महाभारत युद्ध के लिए

महाभारत के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि युयुत्सु गांधारी का नहीं बल्कि एक दासी पुत्र था. जो गांधारी के गर्भवती रहने के दौरान, महल में काम करने वाली दासी और धृतराष्ट्र के संयोग से पैदा हुआ था. इस कारण से युयुत्सु के विचार शेष कौरवों के विचारों से अलग थे. दूसरी तरफ सबसे अनुज होने के कारण विकर्ण, युयुत्सु के समीप रहता था. दोनों को दुर्योधन और दूसरे कौरवों से अधिक धर्म का ज्ञान था.


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द्रोपदी चीरहरण के समय इन दोनों भाईयों ने दुर्योधन का विरोध करने के साथ ही, पाडंवों के विरूद्ध युद्ध करने पर आपत्ति भी जताई थी, क्योंकि उन्हें ये भलीभांति ज्ञात था कि धर्म युद्ध में किसी चरित्र (किरदार) की नहीं, बल्कि धर्म की विजय होती है और उन्हें ये भी ज्ञात था कि पांडवों के द्वारा कुरुक्षेत्र का युद्ध किसी संपत्ति, महल या राजकाज प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि न्याय और धर्म की स्थापना करने के लिए किया जा रहा है. महाभारत के युद्ध में युयुत्सु को छोड़कर सभी कौरव मारे गए थे…Next

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मरने से पहले कर्ण ने मांगे थे श्रीकृष्ण से ये तीन वरदान, जिसे सुनकर दुविधा में पड़ गए थे श्रीकृष्ण

श्रीकृष्ण के अलावा इस पांडव के पास थी भविष्य देखने की दिव्य शक्ति, इसलिए नहीं रोका महाभारत का रक्तरंजित युद्ध

अधर्मी दुर्योधन को एक घटना ने बना दिया महापुरुष

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