हिंदू धार्मिक मान्यताओं में मनुष्य के कष्ट और पापों का नाश करने के लिए कई तरह के व्रत शास्त्रों में बताए गए हैं। इनमें पापांकुश व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत के तहत भगवान विष्णु के पद्मनाथ अवतार की आराधना करनी होती है और व्रत रखना होता है। महाभारत में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर के पापों को नाश करने के लिए उन्हें पापांकुश एकादशी व्रत की कथा सुनाई थी। कहा जाता है कि इस व्रत से युधिष्ठिर के पापों का नाश हो गया था। हिंदू मान्यताओं और पंचांग के अनुसार पापांकुश एकादशी का व्रत अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन रखा जाता है।
धर्मराज को कृष्ण ने व्रत कथा सुनाई
पापांकुश एकादशी व्रत कथा के अनुसार महाभारतकाल में भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को इस एकादशी की महिमा बताई थी। कथाओं के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध से व्याकुल हो गए। युधिष्ठिर खुद को पाप का भागी समझ परेशान हो गए। धर्मराज युधिष्ठिर के इस कष्ट को देखकर अर्जुन समेत अन्य भाई और उनके शुभचिंतक भी परेशान हो गए। तमाम प्रयासों के बावजूद युधिष्ठिर की पीड़ा का नाश होते न देख द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से पीड़ा हरने का उपाय बताने प्रार्थना की।
संध्याकाल में आरती से पूजा आरंभ
धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से भेंट की और अपना पापों और कष्टों के निवारण का उपाय पूछा। कृष्ण ने उन्हें पापांकुश एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की आराधना करने का आदेश दिया। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि यह व्रत तुम्हारी सारी पीड़ा को हर लेगा और पापों को भी नष्ट कर देगा। इसके अलावा कृष्ण ने युधिष्ठिर को पूजा और व्रत के नियमों के बारे में भी बताया। इसके बाद धर्मराज ने पुरोहितों की देखरेख में भगवान विष्णु के पद्मनाभ अवतार की उपासना की। इसके लिए उन्होंने पापांकुश एकादशी की पूर्व संध्या को भगवान की आरती की।
पापमुक्त हुए पांडवश्रेष्ठ
एकादशी के दिन धर्मराज ने व्रत रखा और बताए गए नियमों के अनुसार ही सरोवर में स्नान और मस्तक पर चंदन लगाकर पूजन करने लगे। व्रत पूर्ण होने के पश्चात अगले दिन धर्मराज को कष्टों से मुक्ति मिली और उनके पापों का नाश हो गया। फलस्वरूप वह सकुशल हो गए। मान्यता है कि यदि कोई साधक पापांकुश एकादशी का व्रत रखता है तो उसे कई अश्वमेघ यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है। इसके अलावा इस व्रत को रखने का मतलब सूर्य यज्ञ करने के समान भी माना जाता है।…Next
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