हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को बेहद शुभ माना गया है। क्योंकि इस दिन सभी दोषों से मुक्ति पाने के लिए भगवान कृष्ण की आराधना का वर्णन मिलता है। 25 फरवरी को पड़ने वाले इस तिथि को फुलेरा दूज के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कृष्ण ने होली खेलने की परंपरा शुरू की थी।
पौराणिक कथा में फुलेरा दूज
पौराणिक कथा के अनुसार अत्यधिक व्यस्त होने के चलते भगवान कृष्ण राधा से मिलने नहीं आ रहे थे। राधा के दुखी होने पर उनके सहेलियां भी कृष्ण से रूठ गई थीं। राधा के उदास रहने के कारण मथुरा के वन सूखने लगे और पुष्प मुरझाने लगे। वनों की स्थिति देखकर भगवान कृष्ण को हालात का अंदाजा लग गया और उन्होंने राधा से मिलने उनको खुश करने का निश्चय किया।
राधा की उदासी पर पुष्प और पेड़ मुरझाए
श्रीकृष्ण जैसे ही वृंदावन पहुंचे और राधा से मिले तो वह खुश हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। पास के मुरझाए पुष्प के दोबारा खिल जाने पर कृष्ण ने उसे तोड़ लिया ओर राधा को छेड़ने के लिए उनपर मार दिया। कृष्ण के प्रतिउत्तर में राधा ने भी ऐसा ही किया। यह देख वहां मौजूद ग्वाले और गोपिकाएं भी एक दूसरे पर फूल बरसाने लगीं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। इसीलिए इस तिथि को फुलेरा दूज के नाम से जाना गया।
राधा ने फूलों की होली खेली
फुलेरा दूज पर फूलों की होली खेलने की परंपरा की शुरुआत हुई। इसीलिए कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने सबसे पहले राधा और गोपिकाओं के साथ होली खेली थी। फुलेरा दूज पर हर साल मथुरा और वृंदावन में मौजूद राधा कृष्ण के मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है। इस दिन यहां राधा कृष्ण की उपासना की जाती और खुशहाली की प्रार्थना की जाती है। लोग इसी दिन को होली पर्व के शुभारंभ के तौर पर मानते हैं।
कृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार फुलेरा दूज पर पूजा का शुभ मुहूर्त 24 फरवरी कही रात 11:15 बजे से शुरू होकर 26 फरवरी की दोपहर 01:39 बजे तक रहेगा। मान्यताओं के अनुसार शुभ मुहूर्त के दौरान भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। पूजा से कृष्ण खुश होकर सभी दुख और पापों के नाश का वरदान देते हैं। इसके अलावा लोगों के उदास रहने का कारण भी दूर कर देते हैं।…Next
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