हिंंदू धार्मिक ग्रंथों में प्रदोष व्रत को खासा महत्व दिया गया है। साल के 12वें प्रदोष व्रत का पालन करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा का फल प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधिवत आराधना करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति का रास्ता खुलता है और धनसंपदा हासिल करने के साथ ही खुशहाली मिलती है।
हर माह होते हैं दो प्रदोष व्रत
पुराणों के अनुसार साल में कुल 24 प्रदोष व्रत का वर्णन मिलता है। हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है। यह व्रत पूरे भारतवर्ष में भोलेनाथ की आराधना के दिन के रूप में प्रसिद्ध है। दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है।
12वां प्रदोष व्रत अतिफलदायी
मान्यताओं के अनुसार कुछ खास दिन होने वाले प्रदोष व्रत को अतिफलदायी माना गया है। इनमें सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दिन प्रदोष व्रत की तिथि होने पर इसका फल और महत्व अधिक बढ़ जाता है। इसी तरह साल का 12वां प्रदोष व्रत भी अतिफलदायी होता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ भक्तों की आराधना का इंतजार करते हैं।
भोलेनाथ के लिए समर्पित है यह तिथि
हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत मुख्य रूप से भगवान भोलेनाथ की आराधना को समर्पित है। हालांकि इस दिन माता पार्वती और गणेश की पूजा करने से तीन आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। साल का 12वां प्रदोष व्रत आज यानी 18 जून को पड़ रहा है। इस प्रदोष व्रत के दिन इन तीनों देवी देवताओं की पूजा से धनसंपदा, खुशहाली और कष्टों से मुक्ति का फल प्राप्त होता है।
सिर्फ दो घंटे पूजा का शुभ मुहुर्त
साल के 12वां प्रदोष व्रत की तिथि आज 18 जून को आषाण माह की कृष्ण त्रयोदशी को सुबह 09:39 बजे से शुरू होगी जो अगले दिन 19 जून को सुबह 11:01 बजे समाप्त होगी। इस बार प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त सिर्फ दो घंटे ही रहने वाला है। द्रिक पंचांग के अनुसार पूजा का मुहूर्त शाम 07:21 बजे से शुरू होगा और रात 09:22 बजे खत्म होगा।…Next
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