Menu
blogid : 19157 postid : 1388592

आधी रात को इस कुंड में स्‍नान से दूर होता है बांझपन, अहोई अष्‍टमी पर महिलाओं का लगता है जमघट

किसी भी महिला के लिए बांझपन श्राप से कम नहीं है। बांझपन खत्‍म कर सूनी गोद भरने के लिए महिलाएं आधी रात को राधा कुंड में स्‍नान के लिए मथुरा पहुंचती हैं। ऐसी मान्‍यता है कि अहोई अष्‍टमी के दिन बांझपन की शिकार महिलाएं इस राधाकुंड में स्‍नान कर अपने श्राप से मुक्‍त हो जाती हैं। इस बार अहोई अष्‍टमी 21 अक्‍टूबर यानी सोमवार को पड़ रही है। इस दिन माता पार्वती की आराधना की जाती है।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan21 Oct, 2019

 

 

 

स्‍याहू माता ने दिया बांझ होने का श्राप
प्रचलित कथा के अनुसार एक साहूकार के 7 बेटे और 7 बहुएं थीं। उसकी एक बेटी भी थी। एक बार दीवाली के अवसर पर साहूकार की बेटी घर की रंगाई पुताई के लिए जंगल से मिट्टी लेने गई। मिट्टी की खुदाई करते वक्‍त उसकी खुरपी से स्‍याह माता के बच्‍चे की मौत हो गई। बेटे के गम से व्‍याकुल स्‍याहू माता ने उस साहूकार की बेटी की कोख को बांझ होने का श्राप दे दिया।

 

 

साहूकार की छोटी बहू ने श्राप खुद लिया
जंगल से लौटने के बाद साहूकार की बेटी ने अपनी सभी भाभियों से श्रापित होने की घटना सुनाई। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से विनती करते हुए कहा कि उनमें से कोई एक उसके बांझ होने श्राप को ले ले। ननद की पीड़ा देखकर सबसे छोटी भाभी ने बांझ होने का श्राप खुद पर ले लिया। साहूकार की सबसे छोटी बेटी के ऐसा करने पर उसके लगातार 7 बच्‍चों की एक के बाद एक जन्‍म के बाद मौत हो गई।

 

 

गाय सेवा और कुंड स्‍नान से श्राप मुक्ति
अपने बच्‍चों की मौत से परेशान छोटी बहू को एक पुरोहित ने बताया कि वह गाय की पूजा करे। इससे वह श्राप मुक्‍त हो जाएगी। छोटी बहू ने ऐसा ही किया और बाद में श्राप मुक्‍त हो गई। हालांकि कुछ कथाओं में छोटी बहू को गाय की सेवा करने के साथ अहोई अष्‍टमी की आधी रात को राधा कुंड में स्‍नान करने को भी कहा गया था और कुंड में स्‍नान करने से वह श्राप मुक्‍त हो गई।

 

 

श्रीकृष्‍ण को बछड़ा बन मारने पहुंचा राक्षस
राधा कुंड की प्रचलित कथा के अनुसार भगवान कृष्‍ण को मारने के लिए मामा कंस ने एक राक्षस को भेजा। गाय चरा रहे असुर ने बझड़े का रूप लेकर कृष्‍ण को मारने दौड़ा लेकिन कृष्‍ण ने पहले ही उस राक्षस को मार दिया। बछढ़ा बने राक्षस के वध के बाद पधारे नारद मुनि ने श्रीकृष्‍ण को गौहत्‍या के पाप से मुक्‍त होने के लिए चारों धामों की यात्रा और स्‍नान करने का उपाय बताया।

 

 

 

 

श्रीकृष्‍ण पर लगा गौहत्‍या का पाप
श्रीकृष्‍ण ने गौहत्‍या से मुक्ति पाने के लिए ऐसा ही किया और पवित्र जल को इकट्ठा कर मथुरा लाए और यहां एक कुंड का निर्माण कर उसमें जल को समाहित कर दिया। श्रीकृष्‍ण के कुंड बनाने के बाद राधा ने भी अपने कंगन से जमीन खोदकर एक कुंड का निर्माण किया। श्रीकृष्‍ण ने राधा कुंड को वरदान दिया कि जो भी बांझ स्‍त्री इस कुंड में स्‍नान करेगी उसके दोषों का नाश हो जाएगा और वह मां बनने का सुख हासिल कर सकेगी।

 

 

 

 

मथुरा में है राधा कुंड
वर्तमान में यह राधाकुंड उत्‍तर प्रदेश के मुथुरा जिले में गोर्वधन गिरिधारी के परिक्रमा मार्ग में स्थित है। कहा जाता है कि हर साल अहोई अष्‍टमी को महिलाएं इस कुंड में स्‍नान करने के लिए पहुंचती हैं और अपने बांझ होने के श्राप से मुक्‍त होती हैं। इस कुंड को राधा कुंड के नाम से जाना जाता है।…Next

 

Read More: अहोई अष्‍टमी व्रत के दौरान इन चार बातों का ध्‍यान रखना जरूरी, भारी पड़ सकता है नजरअंदाज करना 

कार्तिक माह में यह 5 काम करने से मिल जाएगी नौकरी….

पापांकुश एकादशी व्रत के 5 नियम जो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे, विष्‍णु भगवान से जुड़े हैं व्रत के नियम

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh