अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या रामायण में वर्णित कहानी, स्थान और घटनाएं वास्तविक है या सिर्फ एक महान कवि की महान कल्पना. हमें आश्चर्य इसलिए होता है क्योंकि रामायण में उल्लेखित कई घटनाओं को पढ़कर यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि हजारों साल पहले तकनीक इतनी उन्नत थी. चाहे वह समुद्र के ऊपर रामसेतु का निर्माण हो, दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग हो या फिर रावण का पुष्पक विमान.
रावण के पास वाकई पुष्पक विमान था इस बात के कई प्रमाण हैं. लेकिन यदि आप सोचते हैं कि रावण के पास सिर्फ एक विमान था या लंका में सिर्फ एक ही विमान मौजूद था जिसका प्रयोग लंकापति रावण करता थआ तो ऐसा नहीं है. लंका में ढ़ेरों विमान मौजूद थे और इन विमानों के आवागमन के लिए हावईअड्डे भी थे. रमायण में ऐसे 6 हवाईअड्डों का जिक्र है जिसमें से 4 की खोज वैज्ञानिकों ने कर ली है. ये हवाई अड्डे कभी हद तक आज के जमाने के एयरपोर्ट की तरह ही थे.
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रमायण में वर्णित हवाईअड्डों की खोज श्रीलंका के रामायण अनुसंधान कमेटी ने किया है. 9 सालों से अनुसंधान में जुटी यह टीम 9 सालों से लंका का कोना-कोना छान रही थी. इस कमेटी को लंका के दुर्गम स्थानों में रमायण कालीन 4 हवाई अड्डे मिलें हैं. कमेटी के अध्यक्ष अशोक केंथ का कहना है की रामायण में वर्णित लंका वास्तव में श्री लंका ही है जहाँ उसानगोडा , गुरुलोपोथा , तोतुपोलाकंदा तथा वरियापोलानामक चार हवाईअड्डे मिले है.
उसानगोडा रावण का निजी हवाईअड्डा था तथा यहाँ का रनवे लाल रंग का है. इसके आसपास की जमीं कहीं काली तो कहीं हरी घास वाली है. जब हनुमान जी सीता जी की खोज में लंका गये तो वहां से लौटते समय उन्होंने रावण के निजी उसानगोडा को नष्ट कर दिया था .
अशोक केंथ पहली बार सन 2004 में लंका में स्थित अशोक वाटिका खोजने के कारण सुर्खियों में आये थे. इस खोज के बाद श्रीलंका सरकार ने ‘श्री रामायण अनुसन्धान कमेटी’ का गठन कर केंथ को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया. Next…
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