प्राणी कितना भी बुरा हो परन्तु उसके अंदर कुछ न कुछ अच्छी बातें होती ही है. हम सभी जानते हैं कि रावण दुष्ट होने के साथ-साथ महान पंडित भी था. पर हम में से कम लोग ही यह जानते होंगे कि रावण अपने किन-किन खूबियों के कारण महान कहलाता था. यह सत्य है कि यदि रावण में बुराई नहीं होती, तो वह ईश्वर का रूप माना जाता. लेकिन यह संभव न हो सका क्योंकि रावण का सबसे बड़ा दुर्गुण उसका अहंकार था, जिसने उसका सर्वनाश करा दिया. आज रावण की कुछ ऐसी ही खूबियों की बात करते हैं जो उसे दुष्ट होते हुए भी महान बनाती थी.
जब रावण अपना हाथ नहीं निकाल पाया तब उसने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्रोत रच दिया. यह देख शिवजी बहुत प्रसन्न हो गए.
2. रावण बहुत विद्वान, चारों वेदों का ज्ञाता और ज्योतिष विद्या में पारंगत था. इसी कारण रावण की विद्वता से प्रभावित होकर भगवान शंकर ने अपने घर की वास्तु शांति हेतु आचार्य पंडित के रूप में दशानन को निमंत्रण दिया था.
3. रावण की मां का नाम कैकसी था और पिता ऋषि विशर्वा थे. रावण की माता कैकसी दैत्य कन्या थी. रावण के भाई विभीषण, कुंभकर्ण और बहन शूर्पणखा के अलावा देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर भी रावण के भाई थे.
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4. रावण भगवान शंकर का सबसे बड़ा उपासक था. कथाओं के अनुसार सेतु निर्माण के समय रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की गई जिसके पूजन के लिए विद्वान की खोज शुरू हुई. उस वक्त सबसे योग्य विद्वान रावण ही था. रावण ने अपने शत्रुओं के आमंत्रण को स्वीकार कर शिवलिंग पूजन किया.
5. रावण के कई गुणों में एक गुण तपस्वी का भी था. अपने तप के बल पर ही उसने सभी देवों और ग्रहों को अपने पक्ष में कर लिया था. रावण की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उसे अमरता और विद्वता का वरदान दिया था.
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6. रावण एक महान कवि के साथ-साथ वीणा वादन में भी सिद्धहस्त था. उसने एक वाद्य भी बनाया था, जिसे बेला कहा जाता था. इस यंत्र को वायलिन का ही मूल और प्रारम्भिक रूप माना जाता है. कहीं-कहीं इस वाद्य को ‘रावण हत्था’ भी कहते हैं.Next…
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