चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होते ही मंदिर से लेकर घरों तक में भक्तिमय माहौल है। इसी के साथ हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत हो गई। 18 मार्च से शुरू हुई नवरात्रि 25 मार्च तक रहेगी। हिंदू धर्म के लोग घरों में देवी पूजन की तैयारियां कर चुके हैं। आज (रविवार) पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही भगवती की पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी, जो नवमी तक चलेगी। नवरात्रि का पारण 26 मार्च को होगा। कलश स्थापना में जौ का इस्तेमाल किया जाना आवश्यक माना जाता है। आइये आपको बताते हैं कि कलश स्थापना और उसमें इस्तेमाल किए जाने वाले जौ का क्या महत्व है।
कलश इन चीजों का है प्रतीक
धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगलकामनाओं का प्रतीक माना गया है। धारणा है कि कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र और मूल में ब्रह्मा स्थित होते हैं। साथ ही ये भी मान्यता है कि कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं, इसलिए नवरात्रि के शुभ दिनों में कलश स्थापना की जाती है।
वसंत ऋतु की पहली फसल जौ
कलश स्थापना के दौरान उसके चारों ओर ज्वारे या जौ बोए जाते हैं। अधिकांश लोग महत्व जाने बगैर इस परंपरा का निर्वाह करते चले आ रहे हैं। इसके पीछे मान्यता है कि जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी, तो पहली फसल जौ ही थी, इसलिए इसे पूर्ण फसल कहा जाता है। इसी वजह से यह हवन में देवी-देवताओं को चढ़ाई जाती है। वसंत ऋतु की पहली फसल जौ ही होती है, जिसे हम देवी को अर्पित करते हैं।
जौ देता है ये संकेत
इसके अलावा जौ बोने को लेकर एक और मान्यता है। माना जाता है कि जौ उगाने से भविष्य से संबंधित कुछ बातों के संकेत मिलते हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि जौ तेजी से बढ़ते हैं, तो घर में सुख-समृद्धि तेजी से बढ़ती है। वहीं, यदि जौ मुरझाए हुए या इनकी वृद्धि कम हुई हो, तो भविष्य में कुछ अशुभ घटना का संकेत मिलता है।
व्रत रखना होता है अच्छा
चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि मौसम बदलने के वक्त मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि गर्मी की शुरुआत में, तो शारदीय नवरात्रि सर्दी की शुरुआत में होती है। बदलते हुए मौसम का सीधा असर हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत पर पड़ता है। इस दौरान बीमार पड़ने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। बदलते मौसम में व्रत रखना फायदेमंद होता है, क्योंकि व्रत के दौरान हम हल्का भोजन करते हैं, जिससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है। व्रत के दौरान खाया जाने वाला आहार हल्का होने की वजह से आसानी से पच जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि व्रत रखने से धर्म और आस्था की ओर रुझान बढ़ता है। जब धर्म की ओर रुझान बढ़ता है, तो भक्त बेहतर तरीके से और सच्चे मन से मां की आराधना कर पाते हैं…Next
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