साल 2019 के अंतिम दिन अपने सबसे बड़े दुश्मन से मुक्ति पाने का महत्वपूर्ण योग बना है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस योग में भगवान स्कंद देव की आराधना और व्रत पालन की बदौलत सालभर के पापों से मुक्ति मिल जाएगी और हर तरह के दुश्मन से मुक्ति का रास्ता खुल जाएगा। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक 31 दिसंबर को पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि स्कंद देव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन स्कंद देव यानी भगवान कार्तिकेय की स्तुति से साल भर में किए गए पापों और दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। उन्होंने देवताओं को भी षष्ठी तिथि को ही सबसे बड़े दुश्मन से मुक्ति दिलाई थी।
नई शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन
दिसंबर की 31 तारीख को पड़ रही पौष माह की स्कंद षष्ठी का हिंदू पुराणों में विशेष महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय अपने पिता भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती से नाराज होकर कैलाश छोड़ दिया। उन्हें मनाने पहुंचे भगवान गणेश को भी कार्तिकेय ने गुस्से में वापस भेज दिया। गुस्से में दक्षिण की ओर पहुंचे कार्तिकेय ने षष्ठी तिथि को मल्लिकार्जुन पर्वत पर ज्योर्तिलिंग की स्थापना कर तपस्या में लीन हो गए। षष्ठी तिथि को कार्तिकेय के नए स्वच्छंद रूप का जन्म हुआ। इसीलिए इस दिन नई शुरुआत करने का सबसे अच्छा दिन भी कहा जाता है।
शरण में आए देवताओं का दुख दूर किया
पुराणों में भगवान स्कंद देव को यानी कार्तिकेय को शरण में आए व्यक्ति के प्रति बहुत दयालु और उसके दुखों का नाश करने वाला बताया गया है। उन्होंने देवताओं के सबसे बड़े दुश्मन बने असुर से मुक्ति दिलाई थी। पौराणिक कथाओं के अुनसार असुरों के अधिपति ताड़कासुर ने स्वर्ग पर चढ़ाई कर दी। असीमित शक्तियों वाले ताड़कासुर के सामने देवता टिक नहीं पा रहे थे। स्वर्ग का सिंहासन हारने की आशंका जानकर इंद्र समेत सभी देवता ने मंथन किया कि ताड़कासुर को कैसे मारा जा सकता है। पता चला कि ताड़कासुर को ब्रह्म देव का वरदान है कि वह सिर्फ शिवपुत्र के हाथों ही मारा जा सकता है। इस पर सभी देवता दक्षिण में मल्लिकार्जुन पर्वत पर तप कर रहे कार्तिकेय से प्रार्थना करने पहुंचे। देवताओं ने कार्तिकेय को अपना सेनापति निुयुक्त कर दिया। कार्तिकेय ने युद्ध में उतरते ही ताड़कासुर का वध कर दिया और स्वर्ग के सिंहासन की रक्षा की।
इस तरह दूर होंगे कष्ट और मिलेगी संपन्नता
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय को षष्ठी तिथि बेहद प्रिय है। इस दिन वह संसार में मौजूद हर तरह के आतंक, दुख और दरिद्रता का नाश कर देते हैं। कार्तिकेय को षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह का स्वामी बताया गया है। पौष माह की षष्ठी तिथि का योग आज ही यानी 31 दिसंबर को है। इस दिन कार्तिकेय की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराने के बाद दक्षिण दिशा में स्थापित कर चंपा के फूल अर्पित करने चाहिए। उनकी आरती करने के बाद व्रत रखना चाहिए। ऐसा करने वाले जातकों का रोग, दरिद्रता और कष्ट दूर हो जाते हैं तथा वह संपन्नता की ओर अग्रसर हो जाता है।…Next
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