Menu
blogid : 19157 postid : 1388803

अल्‍प मृत्‍यु योग से बचाएंगे महाकाल, इस खास तिथि में शिवलिंग पर चढ़ाएं ये वस्‍तुएं

हिंदू मान्‍यताओं के अनुसार संहार करने वाले और मृत्‍यु के स्‍वामी महाकाल यानी भोलेनाथ की आज पूजा करने से अल्‍प मृत्‍यु योग से बचा जा सकता है। मागशीर्ष माह की त्रयोदशी पर सोम प्रदोष व्रत का योग बन रहा है। मान्‍यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग की पूजा के साथ ही कुछ वस्‍तुएं चढ़ाने से अल्‍प मृत्‍यु दोष मिट जाता है। इसके अलावा इस दिन पूजा से संतान प्राप्ति, प्रेम विवाह के दोष खत्‍म, दांपत्‍य जीवन में संपन्‍नता का फल हासिल होता है।

Rizwan Noor Khan
Rizwan Noor Khan9 Dec, 2019

 

 

 

 

फलदायी है मार्गशीर्ष की त्रयोदशी
हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह बेहद महत्‍वपूर्ण माना गया है। इस माह में कई ऐसे व्रत, पर्व, योग और तिथियां बन रही हैं जो किसी को दोषमुक्‍त, धनवान, मृत्‍यु पर विजय और मोक्ष हासिल करने वाला बना सकती हैं। यूं तो हर माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं और यह त्रयोदशी तिथि को ही पड़ते हैं। लेकिन, सोमवार के दिन प्रदोष व्रत होने के चलते यह महत्‍वपूर्ण बन गया है। इस योग में भगवान भोलेनाथ की पूजा विशेष फलदायक बन जाती है।

 

 

 

विशेष योग और मुहूर्त
अल्‍प मृत्‍यु के योग से जूझ रहे लोगों के लिए आज पूजा करने का मुहूर्त है। यह मुहूर्त 09 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू हो रहा है। यह अगले दिन यानी 10 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भगवान भोलेनाथ की पूजा का मुहूर्त शाम को 05 बजकर 25 मिनट से रात को 08 बजकर 08 मिनट तक है। इस मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा अर्चना विशेष फलदायी होगी।

 

 

 

 

 

 

पूजा की विधि
इस पूजा के लिए प्राताकाल सरोवर या नदी स्‍नान करने की परंपरा है। इसके बाद सोम प्रदोष व्रत और पूजा का संकल्‍प लेकर व्रत का पालन शुरू करें और भगवान भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती की पूजा आरंभ करें। शाम के मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग की पूजा के लिए उत्‍तर दिशा में बैठें। इस दौरान शिवलिंग पर गंगा जल, अक्षत्, पुष्प, धतूरा, धूप, फल, चंदन, गाय का दूध, भांग आदि अर्पित करें। इसके बाद ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें। ​इसके पश्चात घी या कपूर के दीपक से भगवान शिव की आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद परिजनों में बांट दें। रात्रि के समय भगवत वंदन और भजन करें। फिर अलगे दिन सुबह स्नानादि के बाद पारण करें।…Next

 

 

Read More:

महाभारत युद्ध में इस राजा ने किया था खाने का प्रबंध, सैनिकों के साथ बिना शस्‍त्र लड़ा युद्ध

श्रीकृष्‍ण की मौत के बाद उनकी 16000 रानियों का क्‍या हुआ, जानिए किसने किया कृष्‍ण का अंतिम संस्‍कार

अल्‍प मृत्‍यु से बचने के लिए बहन से लगवाएं तिलक, यमराज से जुड़ी है ये खास परंपरा और 4 नियम

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh