पूजा-पाठ के लिए मन का शांतचित्त होना जरूरी होता है. यदि पूजा-पाठ या ईश्वर के दर्शन करने से पहले किसी तरह से आपका मन अशांत हो जाता है तो भगवान की आराधना सफल नहीं मानी जाती है. इसलिए विचलित मन से पूजा-पाठ करने से बचना चाहिए. शांत मन से पूजा करना तभी संभव है जब आपका सामना किसी नकारात्मक व्यक्ति से न हो. पूजा-पाठ से पहले क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए इस विषय पर रामकृष्ण परमहंस ने विस्तार से बताया है.
रामकृष्ण परमहंस के अनुसार पूजा-पाठ या ईश्वर के दर्शन से पहले इन पांच लोगों से दूर ही रहना चाहिए.
नास्तिक- धर्म के अनुसार वैसे व्यक्ति जो धर्म और ईश्वर में विश्वास नहीं करते हैं उसे नास्तिक या अधर्मी कहा जाता है. झूठ बोलना, बुरा व्यवहार करना आदि इनका स्वभाव हो जाता है. पूजा या ईश्वर के दर्शन के समय ऐसे व्यक्ति के आस-पास होने से ईश्वर भक्ति में पूरा ध्यान नहीं लग पाता है. ऐसे मनुष्यों से दूरी बनाकर रखना चाहिए.
क्रोधित मनुष्य- वैसे लोग जो हर छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं मानव नहीं दानव स्वभाव के माने जाते हैं. ऐसे व्यक्ति का मन हर समय अशांंत रहता है और अपने स्वभाव से नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं. देव पूजा या दर्शन के समय ऐसे व्यक्ति के आस-पास होने से मनुष्य अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता. इसलिए पूजा या दर्शन के समय ऐसे व्यक्ति से दूर रहना ही उचित होता है.
दूसरोंकीनिंदाकरनेवाला–जो व्यक्ति दूसरों की निंदा या बुराई करता हो, ऐसा मनुष्य बुरे व्यवहार वाला होता है. दूसरों की निंदा करना मनुष्य व्यवहार का सबसे बड़ा दोष माना जाता है. ऐसे व्यक्ति अपने चारो ओर की शांति को भंग करते हैं. भगवान की पूजा करते समय ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए.
लालची-लालची व्यक्ति की प्रवृत्ति चोर के समान हो जाती है ऐसे व्यक्ति हमेशा दूसरे की वस्तु पाने के बारे में सोचते हैं. ऐसे व्यक्ति से दोस्ती रखने या उसके कामों में मदद करने से आप भी पाप के भागी बन जाते हैं. अतः ऐसे व्यक्ति से देव आराधना के समय बात नहीं करनी चाहिए.
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जलनशीलभावनाकेव्यक्ति-वैसेमनुष्य जो दूसरों के प्रति अपने मन में जलन की भावना रखता है. वह छल-कपट, पापी, धोखा देने वाला व्यक्ति होता है. ऐसे मनुष्य का मन हर समय अशांत ही रहता है. ऐसे व्यक्ति से बात करने पर दूसरों का मन भी अशांत हो जाता है. इसलिए पूजा या दर्शन करते समय ऐसे लोगों से दूर ही रहना चाहिए.Next…
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