मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि अच्छाई और बुराई दोनों ही मनुष्य में होती है. अंतर केवल इतना है कि किसी में अच्छाई अधिक होती है तो किसी में बुराई की अधिकता होती है.
पौराणिक कहानियों में ऐसे कई महानुभाव रहे हैं जो बुराई के प्रतीक के रूप में जाने जाते थे लेकिन देखा जाए तो उन लोगों में भी ऐसी कई अच्छी आदतें थी, जो आज के समय में किसी भी मनुष्य के लिए वरदान साबित हो सकती है. जैसे रामायण के मुख्य खलनायक रावण को महाज्ञानी कहा जाता था. रावण के जीवन से कुछ ऐसे रहस्य जुड़े हुए हैं. जिनके बारे में लोग नहीं जानते. आइए, हम आपको बताते हैं ये रहस्य.
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मंत्रो के उच्चारण से धन प्राप्ति
सोने की लंका होने के साथ ही रावण के पास असीम धन था. इसका कारण था कि वो धन प्राप्ति के लिए मंत्र का जाप करता था. किसी विशेष पौराणिक दिन ( अमावस्या या पूर्णिमा) के दिन किसी नदी किनारे उगे पेड़ के नीचे चमड़े के बिछौने पर बैठकर इस मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति होती है. इस मंत्र को 21 दिनों तक रुद्राक्ष की माला के साथ जपना चाहिए. 21वेंं दिन आपको धन की प्राप्ति होगी. ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं नम: ध्व: ध्व: स्वाहा.
जीवन की किसी भी समस्या को दूर करने के लिए
अगर किसी व्यक्ति को जीवन में एक ही समस्या का सामना बार-बार करना पड़ता है तो उसे 40 दिनों तक 108 बार इस मंत्र का जप करना चाहिए. ऊँ सरस्वती ईश्वरी भगवती माता क्रां क्लीं, श्रीं श्रीं मम धनं देहि फट् स्वाहा.
चारों दिशाओं से मिलेगा धन
इस प्रकार धन प्राप्त करने के लिए दीवाली के अगले सुबह उठकर, अपने बिस्तर पर ही बैठकर 108 बार इस मंत्र का जप करना चाहिए.
ऊँ नमो भगवती पद्म पदमावी ऊँ ह्रीं ऊँ ऊँ पूर्वाय दक्षिणाय उत्तराय आष पूरय सर्वजन वश्य कुरु कुरु स्वाहा.
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छुपे हुए या गड़े हुए धन की प्राप्ति के लिए
यदि आपको लगता है कि कहीं छुपा हुआ धन है जो कि आपको मिल नहीं पा रहा है तो सबसे पहले आपको 10,000 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
ऊँ नमो विघ्नविनाशाय निधि दर्शन कुरु कुरु स्वाहा.
महालक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए
धन की देवी महालक्ष्मी का वास अपने घर में करने के लिए किसी विशेष दिन जैसे दीवाली, अक्षय तृतीया के दिन तांत्रिक क्रिया करनी चाहिए. दीवाली की रात केसरिया रंग से एक प्लेट पर ये मंत्र लिखकर इसका उच्चारण 108 बार करना चाहिए. ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी, महासरस्वती ममगृहे आगच्छ-आगच्छ ह्रीं नम:
धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करने के उपाय
इस मंत्र का उच्चारण 108 बार करने से कुबेर प्रसन्न होते हैं. ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवाणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा.
लोगों से मेलजोल बढ़ाने के लिए
अपामार्ग के बीजों को पीसकर उसमें बकरी का दूध डालकर अपने पूरे शरीर में लगाने से लोग आपके व्यक्तित्व की ओर आर्कषित होते हैं.
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शास्त्रों के अनुसार घास में बहुत दिव्य शक्ति होती है. इसे पीसकर इसमें गाय का दूध डालकर, तिलक लगाने से व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं हो सकता.
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सफेद फूलों को सुखाकर उसमें गाय का दूध डालकर माथे पर तिलक करने से समाज में मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होती है.
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