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शिवपुराण के ये 5 रहस्य बचा सकते हैं जीवन की हर समस्या से

हर मनुष्य के जीवन में कभी न कभी ऐसा समय आता है जब उसे सही-गलत, तथ्य-मिथ्या में अंतर करना बहुत कठिन लगने लगता है. जीवन का वास्तविक अर्थ समझने के लिए वो किताबों, ज्ञानी व्यक्तियों आदि तरीकों का सहारा लेने लगता है. लेकिन जीवन का सबसे बड़ा सत्य तो ये है कि अपने-अपने अनुभव के आधार पर सभी के लिए जीवन का अर्थ भी अलग है. लेकिन जीवन से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य हैं जिनके बारे में जानकर अपने जीवन को सरल बनाया जा सकता है. शिवपुराण में भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन के 5 रहस्य बताए हैं जिन्हें जानकर कोई भी मनुष्य जीवन की हर दुविधा और समस्या से मुक्ति पा सकता है. आइए, जानते हैंं वो 5 रहस्य.


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1. क्या है सबसे बड़ा धर्म और सबसे बड़ा पाप

देवी पार्वती के पूछने पर भगवान शिव ने उन्हें मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा धर्म और अधर्म मानी जाने वाली बात के बारे में बताया है. भगवान शंकर कहते हैंं, ‘मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना या सत्य का साथ देना और सबसे बड़ा अधर्म है असत्य बोलना या उसका साथ देना. इसलिए हर किसी को अपने मन, अपनी बातें और अपने कामों से हमेशा उन्हीं को शामिल करना चाहिए जिनमें सच्चाई हो क्योंकि इससे बड़ा कोई धर्म नहीं है. असत्य कहना या किसी भी तरह से झूठ का साथ देना मनुष्य की बर्बादी का कारण बन सकता है.’


2. काम करने के साथ इस एक और बात का रखें ध्यान

मनुष्य को अपने हर काम का साक्षी यानी गवाह खुद ही बनना चाहिए, चाहे फिर वह अच्छा काम करे या बुरा. उसे कभी भी ये नहीं सोचना चाहिए कि उसके कर्मों को कोई नहीं देख रहा है. कई लोगों के मन में गलत काम करते समय यही भाव मन में होता है कि उन्हें कोई नहीं देख रहा और इसी वजह से वे बिना किसी भी डर के पाप कर्म करते जाते हैं. लेकिन सच्चाई कुछ और ही होती है. मनुष्य अपने सभी कर्मों का साक्षी खुद ही होता है. अगर मनुष्य हमेशा यह एक भाव मन में रखेगा तो वह कोई भी पाप कर्म करने से खुद ही खुद को रोक लेगा.


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3. कभी न करें ये तीन काम करने की इच्छा

आगे भगवान शिव कहते हैंं, ‘किसी भी मनुष्य को मन, वाणी और कर्मों से पाप करने की इच्छा नहीं करनी चाहिए. क्योंकि मनुष्य जैसा काम करता है उसे वैसा फल भोगना ही पड़ता है. यानि मनुष्य को अपने मन में ऐसी कोई बात नहीं आने देना चाहिए जो धर्म-ग्रंथों के अनुसार पाप मानी जाए. ना अपने मुंह से कोई ऐसी बात निकालनी चाहिए और ना ही ऐसा कोई काम करना चाहिए जिससे दूसरों को कोई परेशानी या दुख पहुंचे.’


4. सफल होने के लिए ध्यान रखें ये एक बात

संसार में हर मनुष्य को किसी न किसी मनुष्य, वस्तु या परिस्थित से आसक्ति यानि लगाव होता ही है. लगाव और मोह एक ऐसा जाल होता है जिससे छूट पाना बहुत ही मुश्किल होता है. भगवान शिव कहते हैं, ‘मनुष्य को जिस भी व्यक्ति या परिस्थिति से लगाव हो रहा हो, जो कि उसकी सफलता में रुकावट बन रही हो, मनुष्य को उसमें दोष ढूंढ़ना शुरू कर देना चाहिए. सोचना चाहिए कि यह कुछ पल का लगाव हमारी सफलता का बाधक बन रहा है. ऐसा करने से धीरे-धीरे मनुष्य लगाव और मोह के जाल से छूट जाएगा और अपने सभी कामों में सफलता पाने लगेगा.


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5. यह एक बात समझ लेंगे तो नहीं करना पड़ेगा दुखों का सामना

शिव मनुष्योंं को कहते हैं, ‘मनुष्य की तृष्णा यानि इच्छाओं से बड़ा कोई दुःख नहीं होता और इन्हें छोड़ देने से बड़ा कोई सुख नहीं है. मनुष्य का अपने मन पर वश नहीं होता. हर किसी के मन में कई अनावश्यक इच्छाएं होती हैं और यही इच्छाएं मनुष्य के दुःखों का कारण बनती हैं. जरूरी है कि मनुष्य अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं में अंतर समझे और फिर अनावश्यक इच्छाओं का त्याग करके शांत मन से जीवन बिताएं…Next


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