बुध ऋषि के पुत्र थे पुरुरवा. पुरूरवा ऋषि के बारे में कहा जाता है कि वो बहुत ही कर्तव्य परायण थे. स्वभाव से वो इतने कोमल थे कि ब्रह्मांड के देवी-देवता भी उनकी प्रशंसा करते थे. एक बार नारद मुनि का इंद्रलोक गमन हुआ. वहां पर पुरुरवा ऋषि के बारे में कोई बात चलने लगी. नारद मुनि ने पुरुरवा ऋषि के गुणों का बखान करना शुरू कर दिया. उस समय अप्सरा उर्वशी भी देवराज इंद्र के पास विश्राम कर रही थी. नारद मुनि के मुंह से श्री हरि के अलावा किसी अन्य मनुष्य की प्रशंसा सुनकर वो बेहद प्रभावित हुई. उर्वशी ने पुरुरवा से मिलने के लिए धरतीलोक में जाने की योजना बनाई. इस दौरान देवराज इंद्र ने उर्वशी को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन उर्वशी स्वभाव से बेहद हठी थी.
धरतीलोक पर आकर उर्वशी ने ऋषि पुरुरवा से सामने विवाह करने की इच्छा जताई. पुरुरवा अप्सरा उर्वशी को देखकर मोहित हो गए. उन्होंने तत्काल ही विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.
उर्वशी ने पुरुरवा के सामने रखी रखी 2 शर्ते
1. विवाह करने से पहले उर्वशी ने दो शर्ते रखी. पहली शर्त थी उनकी भेड़ों की रक्षा करना. अगर कोई उनकी भेड़ लेकर गया तो वो उसी समय पुरुरवा को छोड़कर चली जाएगी.
2. दूसरी शर्त थी कि वो कभी भी पुरुरवा को निर्वस्त्र नहीं देखना चाहती सिवाय प्रणय सम्बध बनाते समय. अगर इसके अलावा पुरुरवा कभी भी वस्त्रहीन दिखाई दिए तो वो हमेशा के लिए इंद्रलोक चली जाएगी.
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इंद्र ने बिछाया जाल
देवराज इंद्र उर्वशी को वापस इंद्रलोक लाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने एक योजना बनाई. उन्होंने गंर्धवों को रात्रि के समय उर्वशी के महल के पास भेजकर, उर्वशी की प्रिय भेड़ों को उठा लाने के लिए कहा.
रात्रि के अंतिम पहर में दोनों एक साथ थे. गंर्धवों ने भेड़ों को उठा लिया. भेड़ों की आवाज सुनकर उर्वशी बाहर आई. भेड़ को ले जाते देखकर उर्वशी बहुत क्रोधित हुई उन्होंने पुरुरवा को आवाज दी. पंरतु पुरुरवा नहीं उठे. तब क्रोधित पुरुरवा ने उन्हें नपुंसक कहकर सम्बोधित किया. इस अपमान सूचक शब्द को सुनकर पुरुरवा को उर्वशी की शर्तें याद नहीं रही और वो वस्त्रहीन अवस्था में ही बाहर आ गए. इस अवस्था में पुरुरवा को देखकर उर्वशी ने अपनी शर्ते उन्हें स्मरण करवाई और इंद्रलोक की ओर प्रस्थान करने लगी. पुरुरवा ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की किंतु अपने कहेनुसार उर्वशी वापस लौट गई…Next
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