जीवन में कभी न कभी ऐसा समय भी आता है जब किसी दुख या असहज परिस्थिति में होने पर मनुष्य भौतिक दुनिया से कुछ दूरी बना लेता है. इस दौरान उसका किसी चीज या दुनिया को देखने का नजरिया बदल जाता है. वो किसी वस्तु, जीव, घटना आदि को बहुत बारीकी से देखने लगता है. उदाहरण के लिए वो किसी बगीचे में अकेले बैठकर इधर-उधर फूदकती गिलहरी को देखकर ये सोच सकता है कि आखिर गिलहरी की उत्पत्ति कैसे हुई होगी. स्पष्ट है कि किसी मादा-पुरुष गिलहरी के पारस्परिक संयोग से ही ऐसा हुआ होगा. लेकिन इस लगातार चलते चक्र से परे सोचें तो सृष्टि निर्माण के समय आखिर इन जीवों और मनुष्य जाति की उत्पत्ति कैसे हुई होगी.
क्या था वो श्राप जिसकी वजह से सीता की अनुमति के बिना उनका स्पर्श नहीं कर पाया रावण?
धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने समस्त संसार की रचना की है. लेकिन वेदों और विष्णु पुराण में वर्णित कहानी के अनुसार सभी जीवों की उत्पत्ति कश्यप नामक एक ऋषि से हुई है. कश्यप ऋषि को सप्तऋषियों में से एक माना जाता है. साथ ही कश्यप ऋषि को भगवान ब्रह्मा के मानसपुत्र (इच्छापुत्र) के रूप में भी जाना जाता है.एक पौराणिक कथा के अनुसार प्रजापति दक्ष ने अपनी 13 पुत्रियों का विवाह कश्यप ऋषि से किया था. जिनका नाम अदिति, दिति, कदरु, दानु, अरिश्ता, सुरसा, सुरभि, विनाता, तामरा, क्रोधवशा, इदा, विश्वा और मुनि था. ऐसा माना जाता है कश्यप ऋषि द्वारा अपनी पत्नियों के संयोग से विभिन्न जीवों की उत्पत्ति हुई.
इस श्राप के कारण जब यमराज को भी बनना पड़ा मनुष्य
अपने स्वभाव और चारित्रिक विशेषताओं के आधार पर कश्यप ऋषि की पत्नियों से विभिन्न जीवों की उत्पत्ति हुई. अदिति से देवताओं का जन्म हुआ. दिति से असुर, अरिश्ता से गंधर्व, कदरु से नाग, विनाता से भगवान अरूण, दानु से दानव, क्रोधवशा से पिशाच का जन्म हुआ था. इसके अलावा अन्य पत्नियों से पशु- पक्षी और दूसरे रेंगने वाले कीड़ों का जन्म हुआ था. आगे चलकर इन जीवों से इनका वंश आगे बढ़ा और इस तरह संसार में जीवों की उत्पत्ति हुई…Next
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