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महाभारत में केवल अर्जुन के पास थी ये 7 शक्तियां

अर्य एक ऐसे गुण है, जो हर किसी में नहीं पाया जाता है. भगवान कृष्ण के अनुसार, जिस मनुष्य में धैर्य होता है, वह अपने आप ही महान बन जाता है…Next
Read More:अर्जुन महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक थे. वो बहुत ही ताकतवर और बुद्धिमान होने के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय भी थे. समय-समय पर भगवान श्रीकृष्ण ने ही अर्जुन को ज्ञान दिया और सही-गलत में अंतर करने में मदद की. भगवान श्रीकृष्ण ने 7 ऐसे गुणों का वर्णन किया हैं, जो अर्जुन के अलावा महाभारत के किसी योद्धा में नहीं थे और ये 7 गुण ही अर्जुन की जीत के कारण भी थे.

अर्जुन महाभारत के मुख्य पात्रों में से एक थे. वो बहुत ही ताकतवर और बुद्धिमान होने के साथ-साथ भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय भी थे. समय-समय पर भगवान श्रीकृष्ण ने ही अर्जुन को ज्ञान दिया और सही-गलत में अंतर करने में मदद की. भगवान श्रीकृष्ण ने 7 ऐसे गुणों का वर्णन किया हैं, जो अर्जुन के अलावा महाभारत के किसी योद्धा में नहीं थे और ये 7 गुण ही अर्जुन की जीत के कारण भी थे.

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1. तेज

अर्जुन अपने पराक्रम और बुद्धिमानी के साथ-साथ अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिए भी प्रसिद्ध थे. उनके व्यक्तित्व में एक ऐसा तेज था, जिसे देखकर हर कोई उनसे आकर्षित हो जाता था. भगवान कृष्ण के अनुसार, जिनका तेज और प्रभाव अर्जुन के व्यक्तित्व में था, उतना और किसी में नहीं था और यही गुण अर्जुन को दुसरों से अलग और खास बनाता था.


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2. हाथों की स्फूर्ति

अर्जुन के समान श्रेष्ठ धर्नुधारी और कोई नहीं था. जिनकी स्फूर्ति से अर्जुन के धनुष से बाण चलाते थे, उनकी स्फूर्ति और किसी के हाथों में नहीं थी. अर्जुन का यहीं गुण उन्हें सर्वश्रेष्ठ धर्नुधारी बनाता था.


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3. बल

महाभारत की पूरी कथा में ऐसे कई किस्से हैं, जो अर्जुन के बल और बुद्धि को दर्शाते हैं. अर्जुन में शारीरिक बल के साथ-साथ मानसिक बल भी था. जिसकी वजह से वे चतुर नीतियां बना कर, शत्रुओं का नाश कर देते थे.


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4. पराक्रम

पराक्रम यानि हर काम को करने की क्षमता. महाभारत के सभी पात्रों में से केवल अर्जुन ही एकमात्र ऐसे योद्धा थे, जोकि किसी भी चुनौती या परेशानी का सामना करने में समर्थ थे. अर्जुन के सामने चाहे जो भी परिस्थिति आई, उन्होंने अपने पराक्रम से उसका सामना बड़ी ही आसानी से किया.


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5. शीघ्रकारिता

कहा जाता है कि हर काम करने का एक सही समय होता है, अगर हम किसी बात का निर्णय लेने में देर कर देते हैं तो उसका कोई मतलब नहीं बचता. इस बात का महत्व अर्जुन बहुत अच्छी तरह से जानते थे. वे किसी भी काम को करने में इतनी देर नहीं लगाते थे कि इसका महत्व ही खत्म हो जाए. इसी कारण से श्रीकृष्ण को अर्जुन में यह गुण दिखाई देता था.


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6. विषादहीनता

श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता उपदेश में अर्जुन को मोह-माया छोड़कर अपने कर्म को महत्व देने की बात सिखाई थी. जिसके बाद अर्जुन के अंदर विषादहीनता यानि किसी भी बात से दुखी न होने का गुण आ गया था. युद्ध में चाहे अर्जुन को किसी भी परिस्थिति का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उनका मन एक पल के लिए भी विचलित नहीं हुए.


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7. धैर्य

धैर्य एक ऐसा गुण है, जो हर किसी में नहीं पाया जाता है. भगवान कृष्ण के अनुसार, जिस मनुष्य में धैर्य होता है, वह अपने आप ही महान बन जाता है…Next


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