रामायण में रावण को सबसे बड़े खलनायक के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि रावण महाज्ञानी था, लेकिन उसके जीवन के कई कर्मों ने मिलकर उसके भाग्य का निर्धारण कर दिया, जिसमें से प्रभु श्रीराम की पत्नी सीता का हरण करना मुख्य था. कहा जाता है कि रावण की मां एक राक्षसी थी और पिता विश्रवा ऋषि थे, इसलिए रावण को जन्म से पंडित माना जाता था, लेकिन कर्म से रावण को असुर माना जाता है.
एक पौराणिक कथा अनुसार लंकापति रावण ने अपनी शक्ति का विस्तार करने के लिए ऋषि-मुनियों के आश्रम में जाकर विनाशलीला रची थी, जिसमें उसने अपनी सेना के साथ मिलकर असंख्य ऋषि-मुनियों को मारकर उनके शरीर से रक्त की एक-एक बूंद निकाल ली थी. उसके कारण सभी ऋषियों-मुनियों की आत्माओं ने रावण को श्राप दिया था कि उनका अंश उसकी मृत्यु का कारण बनेगा. तब देवी सीता ने भूमि पुत्री के रूप में जन्म लिया जो कि ऋषियों और रावण की संतान के रूप में जानी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण पांडवों के पूर्वज था. आइए, हम बताते हैं आपको कैसे.
पांडवों के पूर्वज थे रावण
रावण के पिता विश्रवा ऋषि थे और वो ऋषि पुलस्त्य के पुत्र थे, विश्रवा के सगे भाई अगस्त्य ऋषि थे. रावण के ताऊ यानि अगत्य ऋषि ने नियोग द्वारा मत्स्यगंधा को सत्यवती बनाया और उनसे व्यास नाम का पुत्र पाया था. सत्यवती आगे चलकर पांडवों के परदादा शांतनु से ब्याही गई थीं और बाद में उनकी संतानों के पुत्रहीन होने पर व्यास ने ही नियोग से धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर नाम के पुत्र उत्पन्न करवाए.
उसी पाण्डु के बेटे थे पांडव. इस प्रकार इस रिश्ते से लंकापति रावण पांडव का पूर्वज था. हालांंकि, कुछ लोग इस बात को नहीं मानते लेकिन इन रिश्तों से देखा जाए तो रावण का सम्बध पांडवों से इस रूप में था…Next
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