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छठ पर्व : नहाय-खाय में इस वजह से खाया जाता है कद्दू और साग

कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी से सप्‍तमी तक चार दिनों तक चलने वाले महापर्व की शुरूआत हो चुकी है. आज से नहाय-खाय का दिन शुरू हो चुका है. ऐसे में व्रत रखने वाले लोगों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.

आइए, जानते हैं इस पर्व से जुड़ी खास बातें.


chatth puja


पहले दिन नहाय-खाय के साथ व्रत की शुरुआत होती है. इस दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान करके सूर्य भगवान की पूजा करते हैं और छठ व्रत सफलतापूर्वक पूरा होने की कामना करते हैं. इसके बाद कद्दू और सरसों का साग खाकर व्रत का आरंभ किया जाता है, इसलिए व्रत के पहले दिन को नहाय खाय कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये दोनों ही सब्जियां पूरी तरह सात्विक होती है.


kaddu

इससे मन में सकरात्मक ऊर्जा का संचार होता है. साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो कद्दू आसानी से पच जाता है और साग की तासीर गर्म होती है. इन दोनों चीजों को खाने से व्रतधारियों को स्वास्थय सम्बधी परेशानी नहीं होती. छठ पूजा में व्रती को लंबे समय तक जल में रहना पड़ता है, इसलिए सरसों का साग गरम होने से सर्दी-जुकाम का असर कम होता है.

saag

यही वजह है कि व्रती सरसों का साग खाकर अपना व्रत शुरू करते हैं. अध्यात्मिक दृष्टिकोण के अलावा पूजा-पाठ से जुड़े हर संस्कारों में वैज्ञानिक तथ्य भी जुड़े होते हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि छठपूजा के दौरान इन दोनों सब्जियों को क्यों खाया जाता है. अगर आप या आपके आसपास भी इस व्रत को रखता है, तो उसे नहाय-खाय में खाने वाली इन दोनों सब्जियों की खासियत जरूर बताएं…Next

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