महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक ऐसा मंदिर है जो अपने अकूत संपत्ति के लिए चर्चा में है. करीब 900 साल पुराना यह मंदिर महालक्ष्मी जी को अर्पित है. कुछ साल पहले जब इस मंदिर में खजाने के द्वारा को खोला गया तो यहां से सोने, चांदी और हीरों के विशाल भंडार मिले है, जिसकी कीमत करोड़ों में आकी गई है. हालाँकि मंदिर के खजाने की असल कीमत का अंदाजा नहीं लग पाया है.
इससे पहले इस मंदिर के खजाने को 1962 में खोला गया था. उस वक्त भी यहां से करोड़ों रूपए के हीरे-जवारात मिले थे. महालक्ष्मी मंदिर के खजाने से पहले भी सोने की बड़ी गदा, सोने के सिक्कों से बना हार, सोने की जंजीर, चांदी की तलवार, महालक्ष्मी का स्वर्ण मुकुट, श्रीयंत्र हार, सोने की चिड़िया, सोने के घुंघरू, हीरों की कई मालाएं, मुगल आदिलशाही, पेशवा काल के जेवरात मिल चुके हैं.
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खजाने के द्वारा को दोबारा खोला गया तब जेवरात की गिनती के लिए मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए थे. गिनती के वक्त पूरे मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. मंदिर से प्राप्त धन इतना था कि भारत का हर चौथा अमीर मंदिर बन सकता था. इतिहासकारों के मुताबिक कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में कोंकण के राजाओं, चालुक्य राजाओं, आदिल शाह, शिवाजी और उनकी मां जीजाबाई तक ने चढ़ावा चढ़ाया है.
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इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. इसे 7वीं शताब्दी में चालुक्य राजाओं ने बनवाया था. यह मंदिर की विशालता और भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह 27 हजार वर्गफुट में फैला है. मंदिर 51 शक्तिपीठों में शुमार है. शंकराचार्य ने महालक्ष्मी माता की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा किया था. यहां से निकाले गए जेवरात के कारण इसका पुरातात्विक महत्व भी बढ़ गया है..Next…
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