दूर से दिखाई देते अंसख्य दिए, श्रद्धा में डूबे भक्तजन, घाट पर गूंजती सुरीली आरती और घंटी की आवाज. कुछ ऐसा ही नजारा होता है गंगा आरती का. जिसे देखकर किसी भी भटकते मन को पलभर के लिए ही सही लेकिन ठहराव मिलता है. गंगा आरती ही नहीं जब भी आप अपने घर के मंदिर में भी पूजा करते हैं, तो भी आपको शांति का अनुभव होता है. इन बातों से परे क्या आपने कभी सोचा है जब आप मंदिर में पूजा करने जाते हैं या घर में आरती करते हैं तो इतने शांत वातावरण में घंटी क्यों बजाई जाती हैं. वास्तव में इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण होने के साथ कई पौराणिक पहलु जुड़े हुए हैं.
इस वजह से बजाई जाती है घंटी
1. ऐसा माना जाता है कि मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाएं चेतन हो जाती हैं जिससे उनकी पूजा और अधिक प्रभावशाली तथा शीघ्रफल देने वाली होती है. जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद (आवाज) थी, घंटी की ध्वनि से वही नाद निकलती है. यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जाग्रत होती है.
युग परिवर्तन का प्रतीक है घंटी
घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है. ऐसा माना जाता है कि जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद यानि आवाज प्रकट होगी.
मंदिर में घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण
जब घंटी बजाई जाती है तो उससे वातावरण में कंपन उत्पन्न होता है जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है. इस कंपन की सीमा में आने वाले जीवाणु, विषाणु आदि सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं. मंदिर का तथा उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध बना रहता है…Next
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