सोशल मीडिया पर आपने अक्सर रावण के दस सिर से जुड़े हुए कई जोक्स पढ़े होंगे। वहीं टीवी सीरियल्स और धार्मिक फिल्मों में भी रावण के दस सिर दिखाए जाते हैं। टीवी सीरियल्स के मुताबिक रावण को दस सिर वरदान में प्राप्त हुए थे। लेकिन अगर कोई आपसे कहे कि वास्तव में रावण के दस सिर थे ही नहीं, तो आप सोच में पड़ जाएंगे।
जैन शास्त्रों में लिखी है मणि है 9 मणियों की कहानी
कुछ विद्वान मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे किंतु वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था इसी कारण लोग उसे दशानन कहते थे। जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण के गले में बड़ी-बड़ी गोलाकार नौ मणियां होती थीं। उक्त नौ मणियों में उसका सिर दिखाई देता था जिसके कारण उसके दस सिर होने का भ्रम होता था।
थाइलैंड की रामायण में रावण से जुड़ी ये खास बातें
रामायण कई देशों में ग्रंथ की तरह अपनाई गई है। थाइलैंड में जो रामायण है उसके अनुसार सीता रावण की बेटी थी, जिसे एक भविष्यवाणी के बाद रावण ने ज़मीन में दफ़ना दिया था। भविष्यवाणी में कहा गया था कि ‘यही लड़की तेरी मौत का कारण बनेगी’। बाद में देवी सीता जनक को मिलीं। यही कारण था कि रावण ने कभी भी देवी सीता के साथ बुरा बर्ताव नहीं किया।
वेदों का ज्ञान होने के अलावा लिखी ये रचनाएं
रावण को वेद और संस्कृत का ज्ञान था। वो साम वेद में निपुण था। उसने शिवतांडव, युद्धीशा तंत्र और प्रकुठा कामधेनु जैसी कृतियों की रचना की। साम वेद के अलावा उसे बाकी तीनों वेदों का भी ज्ञान था। इतना ही नहीं पद पथ में भी उसे महारत हासिल थी। पद पथ एक तरीका है वेदों को पढ़ने का।
दुखी होने पर बजाता था रूद्र वीणा
रावण को संगीत का भी शौक़ था। रूद्र वीणा बजाने में रावण को हराना लगभग नामुमकिन था। रावण जब भी परेशान होता वो रूद्र वीणा बजाता था। इतना ही नहीं रावण ने वायलन भी बनाया था जिसे रावणहथा कहते थे। आज भी राजस्थान में इसे बजाया जाता है।…Next
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