कहा जाता है कि अगर आप सही मार्ग पर चलते हुए हर प्रकार की चुनौतियों का सामना करने की प्रतिज्ञा लेते हैं तो स्वयं भगवान भी आपकी मदद करते हैं. साथ ही आप में छुपी सच्चाई देर- सवेर आपके आसपास के लोगों को भी जरूर आर्कषित करती है. अपनी प्रतिज्ञा और सच्चाई का पालन करने की ऐसी ही कथा महाभारत में मिलती है. जिसमें अर्जुन द्वारा अपनी पत्नी द्रौपदी को, दूसरा विवाह न करने के वचन से जुड़ी हुई कहानी के अनुसार, अर्जुन को नाग कन्या उलीपि से वरदान प्राप्त हुआ था.
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पाण्डवों को 13 वर्ष का वनवास मिला था जिसमें एक वर्ष उन्हें अज्ञातवास में बिताना था. अज्ञातवास के दौरान अर्जुन की भेंट एक जंगल में नाग कन्या उलीपि से हुई. उलीपि अर्जुन का पराक्रम और सौंदर्य देखकर मोहित हो गई. इस नाग कन्या ने अर्जुन के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया. लेकिन अर्जुन को अपनी पत्नी द्रौपदी को दिया हुआ वचन याद आया. वास्तव में अर्जुन ने द्रौपदी को ये वचन दिया था कि वो द्रौपदी के अलावा किसी अन्य स्त्री से विवाह नहीं करेंगे. इसलिए अर्जुन ने नाग कन्या उलीपि का विवाह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया.
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उन्होंने हाथ जोड़कर उलीपि से कहा ‘देवी आप बहुत ही रूपवती हैं पंरतु, मैंने अपनी पत्नी को दूसरा विवाह न करने का वचन दिया है. मैं कदापि उसके प्रेम की अवेहलना नहीं कर सकता. इसलिए मैं आपका विवाह प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर सकता’. अर्जुन के मुख से अपनी पत्नी के लिए ऐसी प्रेमपूर्वक बातें सुनकर उलीपि बहुत प्रसन्न हुई. अर्जुन पर प्रसन्न होते हुए उन्होंने ये वरदान दिया कि ‘जल किसी भी रूप में अर्जुन को कोई हानि नहीं पहुंचा सकता और वो जल में रहने वाले जलचरों की भाषा सरलता से समझकर वार्तालाप करने में समर्थ होंगे…Next
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