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रावण के ससुर ने युधिष्ठिर को ऐसा क्या दिया जिससे दुर्योधन पांडवों से ईर्षा करने लगे

आप रामायण के सभी पात्रों से जरूर वाकिफ होंगे लेकिन क्या आप इस महाकाव्य में निभाए गए उन सभी पात्रों को जानते हैं जिन्होंने महाभारत में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.  चलिए हम आपको उन्हीं पात्रों से आपका परिचय कराते हैं.


हनुमान: रामायण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले भगवान हनुमान महाभारत में महाबली भीम से पांडव के वनवास के समय मिले थे. कई जगह तो यह भी कहा गया है कि भीम और हनुमान दोनों भाई हैं.


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परशुराम: अपने समय के सबसे बड़े ज्ञानी परशुराम को कौन नहीं जानता. माना जाता है कि परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों को पृथ्वी से नष्ट कर दिया था. रामायण में भी शिव का धनुष तोड़ने पर भगवान राम पर क्रोधित हुए थे. वहीं अगर महाभारत की बात की जाए तो उन्होंने भीष्म के साथ युद्ध किया था और कर्ण को भी ज्ञान दिया था.


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जाम्बवन्त: जिस इंजीनियर ने रामायण में राम सेतु के निर्माण में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई थी उसी जाम्बवन्त ने महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण के साथ युद्ध किया था.



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मयासुर: बहुत ही कम लोगों को मालूम होगा की रावण के ससुर यानी मंदोदरी के पिता मयासुर एक ज्योतिष तथा वास्तुशास्त्र थे. इन्होंने ही महाभारत में युधिष्ठिर के लिए सभाभवन का निर्माण किया जो मयसभा के नाम से प्रसिद्ध हुआ. इसी सभा के वैभव को देखकर दुर्योधन पांडवों से ईर्षा करने लगा था और कहीं न कहीं यही ईर्षा महाभारत में युद्ध का कारण बनी.



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महर्षि दुर्वासा: हिंदुओं के एक महान ऋषि महर्षि दुर्वासा रामायण में एक बहुत ही बड़े भविष्यवक्ता थे. इन्होंने ही रघुवंश के भविष्य सम्बंधी बहुत सारी बातें राजा दशरथ को बताई थी. वहीं दूसरी तरफ महाभारत में भी पांडव के निर्वासन के समय महर्षि दुर्वासा द्रोपदी की परीक्षा लेने के लिए अपने दस हजार शिष्यों के साथ उनकी कुटिया में पंहुचें थे.


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महर्षि नारद: भगवान श्रीकृष्ण देवर्षियों में नारद को अपनी विभूति बताते है. रमायण, महाभारत से लेकर उपनिषद काल तक में नारद का उल्लेख मिलता है.


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वायु देव: वेदों में कई बार वर्णन किए जाने वाले वायु देव को भीम का पिता माना जाता है. साथ ही ये हनुमान के आध्यात्मिक पिता भी हैं.


अगस्त्यमुनि: रावण से युद्ध करने से पहले भगवान राम ने अगस्त्यमुनि से अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान लिया था. अगस्त्यमुनि को ब्रह्मास्त्र का प्रोफेसर माना जाता है. इस वजह से महाभारत में भी उनका वर्णन मिला है.


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