छत्तीसगढ़ कुछ प्रसिद्ध मंदिरों वाला राज्य है. स्थापत्य कला के लिये मशहूर छत्तीसगढ़ के कुछ मंदिर भक्तों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं. मंदिरों की सूची में एक ऐसा मंदिर भी है जिस पर भक्तों का ध्यान कम जाता है. भारत के दक्षिण-पूर्व में स्थित करोड़ों लोगों की श्रद्धा एवं आस्था के प्रतीक और वास्तुकला की मिसाल “श्री महामाया मंदिर, रतनपुर” ने कई दशकों से अनेक इतिहासकारों तथा पुरातत्त्वविदों को अपनी ओर आकर्षित किया है.
रायपुर से पूर्वोत्तर की दिशा में अवस्थित रतनपुर महामाया देवी मंदिर के लिये जानी जाती है. रतनपुर कलचुरि वंश की प्राचीन राजधानी थी. सोलह प्रस्तर स्तंभों पर आधारित ग्यारहवीं शताब्दी में बनी इस मंदिर के परिसर में एक और मंदिर है जिसे कंठी देवल मंदिर के नाम से जाना जाता है.
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मंदिर के मुख्य परकोटे के अंदर कंठी देवल मंदिर का स्तूप आकार में अष्ट्कोणीय है. यह मंदिर हिंदू और मुग़ल वास्तुकला का अनोखा संगम है. लाल पत्थर से बने इस मंदिर की दीवारों को नौवीं से बारहवीं सदी के विभिन्न उत्त्कीर्ण मूर्तियों तथा कलाकृतियों से सजाया गया है.
मुख्य कलाकृतियों के तौर पर इसमें शाल भंजिका, बच्चे को स्तनपान कराती हुई महिला, लिंगोद्भव शिव तथा कल्चुरि राजा की एक प्रतिमा है. इस मंदिर के भीतर एक शिव लिंग है. यहाँ हर वर्ष नवरात्र के पर्व पर भक्तगण लाखों की संख्या में अपनी आराध्य देवी महामाया के दर्शनों के लिए उमड़ते हैं.Next…..
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