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‘सज्जनों की रक्षा’ और ‘दुर्जनों का नाश’ करती है इस मंदिर की ये मुर्तियां

बिहार की धार्मिक समरसता को जाने बिना भारतीय धार्मिक समरसता को नहीं समझा जा सकता है. बिहार भारत में माने जाने वाले कई प्रमुख धर्मों का केंद्र रहा है. फिर चाहे वो सनातन धर्म हो या फिर बौद्ध, जैन, सिक्ख इत्यादि. इन सभी धर्मों को मानने वाले लोगों का संबंध बिहार के प्रमुख स्थलों पटना, गया, पावापुरी, पटना साहिब आदि से है. बिहार का राजधानी पटना भी हनुमान के एक मंदिर के लिये प्रसिद्ध है. पटना का महावीर मंदिर भगवान हनुमान में आस्था रखने वाले भक्तों के लिये महत्तवपूर्ण स्थल है. यहाँ देश के कोने-कोने से भक्त और श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है.


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यूँ तो इस मंदिर की प्राचीनता पर कोई प्रमाणिक तथ्य सामने नहीं आ पाये हैं. लेकिन कहा जाता है कि रामानन्द धारा को मानने वाले स्वामी बलानन्द ने 1780 ईस्वी में इसकी स्थापना की थी. लेकिन सन 1948 में यह गोसाईंयों के अधिकार में आ गया. इस मंदिर में हनुमान की दो मूर्तियाँ लगी है. पहली मूर्ति ‘परित्राणाय साधूनाम्’ पर आधारित है जिसका मतलब ‘सज्जनों की रक्षा’ है. वहीं दूसरी मूर्ति ‘विनाशाय च दुष्कृताम्’ पर आधारित है जिसका आशय ‘दुर्जनों के नाश’ से है.


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भारत में स्थित हनुमान मंदिरों में इसका स्थान अग्रगण्य है. इस मंदिर को मनोकामना मंदिर समझा जाता है. यहाँ आने वाले भक्तों  की मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने वालों की मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर में चढ़ने वाला प्रसाद ‘नेवेद्यम’ भी अपने स्वाद के लिये अत्यंत प्रसिद्ध है.Next…..


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