शिवपुराण के अनुसार रामायण काल में हनुमानजी ने अपने पराक्रम से प्रभु श्रीराम की सहायता की. हनुमान को भगवान शिव का श्रेष्ठ अवतार कहा जाता है. जब भगवान शिव खुद प्रभु श्रीराम की मदद करने धरती पर पधारे हो तो भला असत्य पर सत्य का विजय क्यों न हो. रामायण काल में हनुमानजी ने कुछ ऐसे धर्म कार्य किए हैं जिसे कोई और नहीं कर सकता था. जानिए वह कौन सा कार्य था जिसे हनुमानजी ही कर सकते थे.
समुद्र लांघना– माता सीताजी की खोज में जब सभी वानर समुद्र तट पर पहुंचे तो किसी में 100 योजन विशाल समुद्र को लांघने की क्षमता नहीं थी. सभी को निराश देखकर जामवंत ने हनुमानजी को उनके बल व पराक्रम का स्मरण करवाया और हनुमानजी ने 100 योजन विशाल समुद्र को एक छलांग में ही पार कर लिया.
माता सीता की खोज– जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो वहां कई तरह की समस्याओं का समाना करना पड़ा. लंका द्वार पर लंकिनी राक्षसी को परास्त करना पड़ा और माता सीता की खोज करने लगे. बहुत खोजने के बाद भी माता दिखाई नहीं दी. मां सीता के न मिलने पर हनुमानजी ने सोचा कहीं रावण ने उनका वध तो नहीं कर दिया, यह सोचकर हनुमानजी को बहुत दु:ख हुआ. उनके मन में पुन: उत्साह का संचार हुआ और वे लंका के अन्य स्थानों पर माता सीता की खोज करने लगे. अशोक वाटिका में जब हनुमानजी ने माता सीता को देखा तो वे अति प्रसन्न हुए. इस प्रकार हनुमानजी ने यह कठिन काम भी बहुत ही सहजता से कर दिया.
लंका दहन- माता से मिलने के बाद हनुमानजी ने प्रभु राम के संदेश को सुनाया. अशोक वाटिका को तहस-नहस कर दिया. ऐसा करके हनुमानजी शत्रु की शक्ति को जानना चाहते थे. यह जानकार लंकापति ने अपने पराक्रमी पुत्र अक्षयकुमार को हनुमानजी को पकड़ने भेजा, हनुमानजी ने बड़ी आसानी से अक्षयकुमार का वध कर दिया. इसके बाद हनुमानजी ने अपना पराक्रम दिखाने के लिए लंका में आग लगा दी. यह पराक्रम केवल हनुमानजी ही कर सकते थे.
विभीषण को राम के पक्ष में करना- लंका पहुँचने के बाद हनुमानजी ने ब्राह्मण का रूप धारण कर विभीषण से मिले. ब्राह्मण को अपना परिचय देने के बाद विभीषण ने हनुमानजी से उनका परिचय पूछा. तब हनुमानजी ने उन्हें सारी बात सच-सच बता दी. रामभक्त हनुमान को देखकर विभीषण बहुत प्रसन्न हुए और प्रभु राम का साथ देने का वचन दिया. अंत में, विभीषण के परामर्श से ही भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया.
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