आज हम जिन शानदार और तेज रफ्तार कारों में बैठकर आधुनिकता का अनुभव करते हैं. दरअसल, उनका अविष्कार आज से हजारों साल पहले ही हो चुका था. हां, ये और बात है कि उस समय बनावट में ये कारें थोड़ी अलग दिखाई देती थी. जिन्हें ‘विमान’ कहा जाता था. महाभारत और रामायण में ऐसे कई प्रसंग मिलते हैं जिनके आधार पर कहा जाता है कि विमान या कार का अविष्कार सबसे पहले भारत में ही हुआ था. आदिकाल में वाहन के अविष्कार से जुड़े हुए कई तथ्य भारद्धाज ऋषि ने ‘विमान शास्त्र’ नामक ग्रंथ में उल्लेखित किए है. आइए, हम आपको बताते हैं रामायण और महाभारत काल के कुछ ऐसे रहस्य जिनके आधार माना जाता है कि आधुनिक कार केवल विमान का संशोधित रूप है. वास्तव में कार अविष्कार तो हजारों साल पहले ही किया जा चुका था.
ऋगवेद के अनुसार ( 800-1500 बीसी) : ऋगवेद के अनुसार ये कहा जाता है कि सबसे पहला विमान अश्विन देवता के पास हुआ करता था. ये एक प्रकार की उड़ने वाली मशीन थी. जो तीन मंजिला तक ऊंची होती थी. आकार में तिकोनी होती थी जिसमें तीन यात्री बैठ सकते थे. सोने, चांदी और लोहे धातु से बने ये विमान राजाओं और देवताओं के पास होते थे.
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रामायण के प्रसंग
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि लंकापति रावण सीता का हरणपुष्पक विमानमें करके ले गया था. रावण को ये पुष्पक विमान धनकुबेर ने दिया था. हालांकि कुछ शास्त्रों के अनुसार ये भी कहा जाता है कि रावण ने ये विमान कुबेर से छलपूर्वक प्राप्त किया था. अवशेषों और पुरानी चित्रकारी के अनुसार रावण का ये पुष्पक विमान दिखने में किसी उड़ने वाली मशीन की तरह दिखाई देता था. जो इतना ऊंचा था जिस पर आसानी से नहीं चढ़ा जा सकता था. ये सोने और चांदी से बना हुआ विमान था. रावण के इस विमान की चर्चा लंका सहित भारत के दक्षिण राज्यों में भी फैली हुई थी.
महाभारत के प्रसंग के अनुसार
महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन पर कौरव सेना द्वारा आसमान से वार किया जा रहा था. वास्तव में कौरवों के संंबंध दैत्यों से भी थे जो युद्ध जीतने के लिए हर प्रकार के छल का उपयोग करना चाहते थे. कौरवों ने उड़ने वाली एक मशीन यानि विमान दैत्यों से प्राप्त किया था. एक अन्य प्रसंग अनुसार महारथी कर्ण को सूर्यदेव ने सुरक्षा कवच और कुंडल भी प्रदान किए थे. साथ ही युद्ध पर विजय प्राप्त करने के लिए सूर्यदेव ने कर्ण को पुष्पक विमान भी भेंट किया था.
महाभारत की ही एक अन्य कहानी के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण इंद्रलोक में एक उड़ने वाले विमान से जाते थे. जो जमीन और आसमान दोनों जगह हवा से बातें करता था. इसी तरह भगवान विश्वकर्मा के पास भी एक ऐसा विमान था इसकी सहायता से वो धरती पर भम्रण करने के लिए आते थे…Next
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