इस सृष्ष्टि का हर व्यक्ति धन संपदा, शांति, वैभव और खुशहाली हासिल करना चाहता है। लेकिन, सभी को सबकुछ मिलना संभव नहीं होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कल यानी 27 फरवरी को वैभव और खुशहाली हासिल करने के शुभ योग बन रहे हैं। इस तिथि को भगवान गणेश की पूजा और आराधना करने वालों के सभी संकट, कंगाली और दरिद्रता दूर हो जाती है।
विनायक चतुर्थी का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को शास्त्रों में बेहद अहम माना गया है। भगवान गणेश के लिए समर्पित होने के कारण इस तिथि को विनायक चतुर्थी भी कहते हैं। कई इलाकों में इसे वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर पार्वती पुत्र भगवान गणेश का विधि विधान से भोग लगाने की परंपरा है।
गणेश और पार्वती और भोलेनाथ की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार पार्वती ने गणेश को घर की रखवाली के लिए दरवाजे पर खड़ा कर दिया और किसी को भी अंदर नहीं आने का आदेश दिया। भगवान भोलेनाथ इस दौरान घर में प्रवेश करने के लिए आए तो उनसे अपरिचित गणेश ने जाने से रोक दिया। गुस्से में आए भोलेनाथ ने गणेश पर त्रिशूल से वार कर दिया। वार से गणेश की गर्दन कटकर अलग गिर गई।
33 करोड़ देवताओं का वरदान
माता पार्वती ने बेटे का वध करने पर भोलेनाथ को तत्काल जीवन लौटाने को कहा। पार्वती के विलाप से सृष्टि में हाहाकार मच गया। भोलेनाथ को आभास होने पर उन्होंने शिशु हाथी के सिर को गणेश के सिर की जगह लगा दिया और गणेश को जीवनदान दे दिया। गणेश को 33 करोड़ देवी देवताओं ने वरदान दिया। मान्यता है तब से भगवान गणेश की प्रति माह दो बार पूजा और आराधना शुरू हो गई।
चतुर्थी तिथि का आरंभ और मुहूर्त
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त बन रहा है। चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 27 फरवरी दिन गुरुवार को सुबह 04 बजकर 11 मिनट से हो रहा है, जो 28 फरवरी दिन शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 44 मिनट तक है। इस दौरान गणेश को भोग, पूजा और आरती की जाती है। गणेश अपने भक्तों की पूजा से खुश होकर खुशहाली, वैभव और संपदा हासिल करने का वरदान देते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से कंगाली और दरिद्रता दूर होती है और संपत्ति बढ़ना शुरू हो जाती है।
पूजा, व्रत और आरती विधि
विनायक चुतर्थी पर भगवान गणेश से वरदान हासिल करने के लिए पूजा की सही विधि का पालन अत्यंत आवश्यक है। इसलिए विनायक चुतर्थी को शुद्ध जल से स्नान करने के पश्चात लाल वस्त्र धारण करें। इसके बाद गणेश की प्रतिमा को पूजाघर में स्थापित करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद गणपति को रोली, अक्षत, पुष्प, धूप से सुशोभित करें और 21 दुर्वा अर्पित करते हुए लड्डू का भोग लगाएं। आरती के बाद ब्राह्मणों और कन्याओं को प्रसाद और भोजन खिलाएं।…Next
Read More:
सबसे पहले कृष्ण ने खेली थी होली, जानिए फुलेरा दूज का महत्व
इन तारीखों पर विवाह का शुभ मुहूर्त, आज से ही शुरू करिए दांपत्य जीवन की तैयारी
जया एकादशी पर खत्म हुआ गंधर्व युगल का श्राप, इंद्र क्रोध और विष्णु रक्षा की कथा
श्रीकृष्ण की मौत के बाद उनकी 16000 रानियों का क्या हुआ, जानिए किसने किया कृष्ण का अंतिम संस्कार
Read Comments